चरमराई देश की स्वास्थ्य व्यवस्था, दवा, बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर आ गई है। कई राज्यों में अस्पताल में बिस्तरों की कमी है। रेमडेसिविर की किल्लत की खबरें आ रही हैं। सरकार ऑक्सीजन का आयात करने जा रही है। गंभीर रूप से बीमार मरीज दम तोड़ रहे हैं। यह हालात किसी एक राज्य या शहर की नहीं है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में हालात बेकाबू हैं।

आप सभी को पता ही होगा कि इस समय महाराष्ट्र की स्थिति काफी ख़राब चल रही है। बता दें कि महाराष्ट्र, में रोजाना कोरोना के करीब 60,000 मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में बेड और आवश्यक दवाओं की किल्लत है। गंभीर रूप से संक्रमित 15% रोगियों के इलाज के लिए भी अस्पतालों में इंतजाम नहीं हैं। करीब 12 जिलों में बेड खत्म हो गए हैं। नासिक जैसी कई जगहों पर बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। लगभग सभी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं। ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी का सामना करने वाले जिलों में भंडारा, उस्मानाबाद, पुणे और पालघर शामिल हैं। रेमडेसिविर और टोसीलिज़ुमाब जैसी दवाओं की भारी कमी है।

तो वहीं इसी कड़ी में बात कर लेते है उत्तर प्रदेश की। जहां पर संक्रमण बढ़ने से ज्यादा बिस्तरों की जरूरत पड़ रही है। संक्रमण के मामले में यूपी में लखनऊ नंबर एक पर बना हुआ है। प्रदेशभर में कोरोना संक्रमण के जितने मामले सामने आ रहे हैं उनमें से करीब 25 फीसदी मामले सिर्फ लखनऊ में निकल रहे हैं। सरकार ने गुरुवार को लखनऊ में आईसीयू बेड सहित 1,121 अतिरिक्त बेड का इंतजाम किया है। लखनऊ में हर दिन करीब 5,000 मामले सामने आ रहे हैं। आईसीयू बेड का केवल 2.4% उपलब्ध है।

गुरुवार को, सरकार ने दो अस्पतालों-बलरामपुर और किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय को समर्पित कोविद अस्पतालों में परिवर्तित करने का फैसला किया, जिनसे लखनऊ में लगभग 3,000 और बेड जुड़ने की उम्मीद है। प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता कम है. छोटे शहरों से कर्मचारी लाए जा रहे हैं। अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर और घर के लिए मिनी सिलेंडर की मांग अधिक है। लखनऊ में एक ऑक्सीजन गैस आपूर्तिकर्ता ने प्रति दिन लगभग 2,000 सिलेंडर भरने की बात कही।

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