झोलाछाप डाक्टर कर रहे कोरोना का इलाज

इंदौर। इंदौर शहर में कोरोना संक्रमण इतना बढ़ गया कि गली मोहल्लों में क्लीनिक खोलकर बैठे झोलाछाप डाक्टर भी एलोपैथी दवाएं मरीजों को दे रहे हैं। दवाई दुकान संचालक भी डाक्टर के पर्चे के बगैर लक्षणों के आधार पर कोरोना की दवाएं दे रहे हैं। कहीं सात दिन की दवा 700 रुपये में दी जा रही है तो कहीं 400 रुपये में। कई लोग तो ऐसे भी हैं जिनके परिवार में संक्रमण नहीं है लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर कोरोना की दवा खरीदकर रख ली। इस कारण महामारी के इलाज की जरूरी दवाओं की किल्लत बाजार में हो गई है।

बोर्ड पर न नाम का पता, न डिग्री का : दांत के इलाज के दौरान संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, लेकिन मालवा मील मुक्तिधाम के पास स्थित एक क्लीनिक पर एक डाक्टर इलाज करते मिला। क्लीनिक के बाहर मरीज भी बगैर मास्क के बैठे थे। क्लीनिक के ऊपर लगे बोर्ड के हाल ऐसे हैं कि न तो डाक्टर का सही नाम नजर आता है और न ही डिग्री की जानकारी। दिनभर यहां मरीजों की भीड़ लग रही है, जबकि मुक्तिधाम पर रोज कोविड शव की अंत्येष्टि के लिए लोग आ रहे हैं।

यहां मिलती है कोरोना की दवा : कई दवाई दुकानों पर कोरोना की दवाएं ग्राहकों को सीधे दी जा रही है। वाट्सएप ग्रुपों पर चल रहे दवाओं के मैसेज दिखाकर लोग दवाएं ले रहे हैं। पंचम की फेल की एक दुकान के बाहर ही पोस्टर चिपका है, जिस पर लिखा है कि यहां कोरोना की दवा मिलती है। बजरंग नगर में भी कई दवाई दुकान संचालक डाक्टर की सलाह के बगैर दवाएं दे रहे हैं।

शहर के कई मेडिकल स्टोर बिना डाक्टर से पर्चे के मरीजों को खांसी, सर्दी, बुखार के अलावा कोविड की दवाएं भी धड़ल्ले से बिना डाक्टर का पर्चा लिखे दे रहे हैं। शुक्रवार दोपहर 2 बजे तिलकनगर के एक मेडिकल स्टोर पर रिपोर्ट ने समान्य मरीज बनकर पहुंचा। मेडिकल स्टोर संचालक को बताया कि मुझे सर्दी, खांसी व बुखार है। क्या कोविड मरीज को दी जाने वाली दवाएं मिल जाएंगी। दवा दुकान संचालक बोला कौन सी दवाएं चाहिए। उसे बताया कि डाक्सी व आइवरमेक्टिन दवाएं चाहिए, लेकिन डाक्टर का लिखा पर्चा नहीं है। दुकानदार बोला बिना पर्चे के भी दवाएं मिल जाएंगी।

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