लाइसेंस सस्पेंड होने के बावजूद बनाई जा रही थी दवा, 4.40 लाख जुर्माना के साथ दो को सजा

पानीपत। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रवीन कुमार ने समालखा के गांव पावटी स्थित हिज फार्मास्यूटिकल्स के दो निदेशकों को तीन साल की सजा सुनाई है। दोनों पर 4.40 लाख जुर्माना भी लगाया है। दवा कंपनी का लाइसेंस सस्पेंड होने के बावजूद दवा बनाई जा रही थी। कंपनी का फार्मासिस्ट भगौड़ा घोषित किया हुआ है।

जिला औषधि नियंत्रक, पानीपत विजया राजे ने बताया कि 13 फरवरी 2012 को तत्कालीन नियंत्रक राकेश दहिया, सीनियर ड्रग्स कंट्रोल आफिसर गुरचरण सिंह के नेतृत्व में हिज फार्मास्यूटिकल्स में छापा मारा गया था। मौके पर दवा का निर्माण होता पकड़ा गया था, जबकि कंपनी का लाइसेंस सस्पेंड था। कंपनी स्टाफ ने बताया था कि पेरासिटामोल बनाई जा रही है। कंपनी से सैंपल लेकर लैब भेजे गए थे। रिपोर्ट में पेरासिटामोल के घटक का जिक्र नहीं था। कंपनी के निदेशकों ने कोर्ट में चैलेंज किया कि फूड प्रॉडक्ट्स बना रहे थे, ड्रग विभाग ने अपनी मर्जी से पेरासिटामोल जोड़ दिया। विजया राजे के मुताबिक हमने कोर्ट में साबित किया कि लाइसेंस सस्पेंड होने के बावजूद ड्रग बन रही थी।

वह मेडिसिन नकली भी हो सकती है। कोर्ट ने निदेशक शिव कुमार, दर्पण अरोड़ा को तीन साल की सजा सुनाई। हालांकि, दोनों को उसी समय जमानत मिल गई। दोनों पर 4.40 लाख का जुर्माना लगाया। कंपनी का फार्मासिस्ट जगबीर भगोड़ा बताया है।

 

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