कोरोना काल में चल रहा मनचाही रिपोर्ट का धंधा,पैसा फेंको, कोविड की मनमानी रिपोर्ट पाओ

फरीदकोट। पूरा देश कोरोना जैसी खौफनाक बीमारी से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस आपदा को अवसर के रूप में तब्दील करते नजर आ रहे है। गौरतलब है कि इस महामारी में कालाबाजारी अपने चरम पर पहुंच चुकी है हद तो तब हो गई जब चंद पैसों की लालच में लोग कोरोना की झूठी रिपोर्ट तैयार कर रहें है। दरअसल कोरोना महामारी की मनचाही रिपोर्ट का धंधा इन दिनों शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, तीन दिन पहले इस मामले में तीन लोगों के पकड़े जाने के बावजूद मनचाही रिपोर्ट देने वाली लैब को सील करने की जहमत न तो सेहत विभाग ने उठाई और न ही जांच कर रही पुलिस ने। जांच अधिकारी ने कहा कि हमने लैब को ताला लगवाकर चाबी अपने पास ले ली थी, अब लैब को सील करने के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिख रहे हैं।

यह लैब अप्रैल के पहले सप्ताह में ही खुली थी। इन लोगों ने कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की चाहत में कैदी और विदेश जाने वालों को ही अपना ग्राहक बनाना शुरू किया। यह लोग अपनी मनमाफिक रिपोर्ट के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थे। इसी का फायदा लैब संचालकों ने उठाया। अंतत: यह लोग सीआइए स्टाफ के बिछाए जाल में फंस गए। यह लोग चंडीगढ़ की जिस लैब की रिपोर्ट देते थे, वह सही होती थी। यह लोग मनमाफिक रिपोर्ट के लिए सैंपलों में हेराफेरी करते थे। जैसे अगर आपको नेगेटिव रिपोर्ट चाहिए तो लैब टेक्निशियन किसी ऐसी व्यक्ति का सैंपल लेकर जांच हेतु भेजते थे, जिसे बीमारी न हो। हालांकि सैंपल के साथ आधारकार्ड और मोबाइल नंबर उस व्यक्ति का देते थे, जिसे रिपोर्ट की जरूरत होती थी। ऐसे में कोरोना संक्रमित होते हुए भी उसे मान्यताप्राप्त लैब की निगेटिव रिपोर्ट मिल जाती थी।

इसी प्रकार से वह कैदी जो कि खुद को कोरोना संक्रमित बताकर जेल से अपनी छुट्टी और बढ़वाना चाह रहे थे वह लोग पाजिटिव रिपोर्ट ले लेते थे। मनमाफिक पाजटिव और निगेटिव के लिए पैसा कोई फिक्स नहीं होता था, जरूरतमंद की जरूरत को देख कर पैसे लिए जाते थे। जांच अधिकारी एसआइ सुरिंदर सिंह ने बताया कि आरोपियों को 20 मई को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के लिए उन्हें तीन दिन का पुलिस रिमांड भी लिया गया है, आशा है कि उसमे और भी खुलासे होंगे। पकड़े गए आरोपित अविनाश कुमार चावला और सुखजिंदर सिंह ने लोगों को मनमाफिक पाजटिव निगेटिव जो रिपोर्ट दी है। यह आकंड़ा रोज सेहत विभाग की साइड पर अपलोड भी हुआ है। हालांकि इस लैब से सेहत विभाग को पांच से सात लोगों के ही सैंपलों की जांच होने की सूचना दी जा रही थी। पिछले 46 दिनों में जो 270 लोगों को रिपोर्ट जारी हुई, वह वास्तविक नहीं रही।

सिविल सर्जन डाक्टर संजय कपूर का कहना है कि जब विभाग को जांच में शामिल किया जाएगा तो वह निश्चित रूप से सभी तथ्यों की जांच करेंगे। निगेटिव रिपोर्ट हासिल कर कईयों को किया संक्रमित कोरोना संक्रमितों ने पैसे लेकर लैब से निगेटिव रिपोर्ट हासिल कर देश में जहां कहीं गए, वहां पर कोरोना महामारी को फैलाने का काम किया है। यह अपराध की श्रेणी में आता है, परंतु जांच जारी होने की बात कह कर कोई भी अधिकारी ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

 

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