कोरोना का आतंक, दो महीने में 150 करोड़ की दवा खाने को मजबूर हुए आगरावासी

आगरा। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ तो आगरा में हर दिन इससे बचने के ल‍िए दवा की मांग बढती रही। लोगों की जब मौत होने लगी तो ऐसा खौफ छाया कि लोगों ने न केवल आक्सीजन सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन को ब्लैक में खरीदा, बल्कि एक अप्रैल से लेकर एक जून तक यानी करीब 60 द‍िन में करीब 150 करोड़ की दवा की खरीदारी कर डाली। आम दिनों में इतने समय में करीब 40 करोड़ का कारोबार होता है।

बाजार के जानकारों के मुताबिक कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अंतर इसी बात से समझा जा सकता है कि गत वर्ष जहां सर्जिकल सामान की बिक्री 65 फीसदी तो दवाइयों की बिक्री 35 फीसदी हुई थी, वहीं इस बार दवाइयों का बाजार 75 फीसदी और सर्जिकल सामान की बिक्री 25 फीसदी हुई है। दवाइयों का बाजार इस बार इतना चला है कि कई दवाइयों को शॉर्टेज अभी तक बनी हुई है। हालांकि एक सप्ताह से कोरोना में प्रयुक्त होने वाली दवाओं व उपकरणों की बिक्री में कमी देखने को मिल रही है।

एक अप्रैल से लेकर अब तक आगरा में 222305 जांच हुई। 16154 लोग संक्रम‍ित पाए गए जब‍क‍ि तीनगुने लोगों मे कोरोना के लक्षण पाए गए पर उनकी र‍िपोर्ट न‍िगेट‍िव रही। इस अवध‍ि में 221 लोगों की मौत हुई जब‍क‍ि 600 से अध्‍ािक ऐसे लोग ज‍िनकी मौत अन्‍य कारणों से हुई। संक्रम‍ित पाए गए लोगों मे से 13 हजार लोग ऐसे रहे, जिन्होंने होम आइसोलेशन में रहते हुए कोरोना की जंग जीती। होम आइसोलेशन में रहते हुए जिन लोगों ने जिन कोरोना गाइडलाइन का पालन किया, उन्होंने इलाज से जुड़ी दवा पारासिटामॉल, आइवरमेक्टिन, फैबीफ्लू, रेमडेसिविर, पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, आक्सीजन का इस्तेमाल किया। कोरोना की पहली लहर में यानी अप्रैल 2020 से लेकर मार्च 2021 में सिर्फ संक्रमितों ने सेनिटाइजर, ग्लव्स व मॉस्क की ही मांग थी। जबकि आक्सीजन की कमी व फेफड़े में संक्रमण के खौफ ने लोगों को पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, नेबुलाइजर व भाप मशीन की खरीदारी पर जोर दिया।

फव्‍वारा बाजार के तीन दवा व‍िक्रेताओं ने बताया क‍ि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों में दवा की किल्लत का खौफ हावी रहा। कोरोना के दर्जनों संक्रमितों ने दवाओं की खरीदारी की, जिन तक कोरोना होने के बाद पांच दिन तक दवा नहीं पहुंची। इसके अलावा सैकडों लोग ऐसे लोग भी रहे, जिन्हें लगता था कि कोरोना की दवा की किल्लत हो सकती है। ऐसे में उन्हें जरूरत नहीं होने पर उन लोगों ने बुखार, एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, कफ एवं एंटी एलर्जिक सीरप, आइवरमेक्टिन, विटामिन सी, बी, जिंक आदि की दवाओं की खरीदारी कर अपने-अपने घरों में स्टॉक कर लिया, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें दौड़ना न पड़े।

दवा व‍िक्रेताओं के अनुसार कोरोना की पहली लहर में जिले में जहां 65 प्रतिशत तक हैंड सैनिटाइजर, मॉस्क, ग्लव्स, हैंडवॉश की बिक्री हुई थी तो 35 प्रतिशत विटामिन सी, बी, जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, एजिथ्रोमाइसिन, कफ सीरप, पैरासिटामॉल व गैस की दवाएं बिकी थीं। लेकिन इस बार यानी कोरोना की दूसरी लहर में 25 प्रतिशत हैंड सेनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स, हैंडवॉश की बिक्री हुई तो 75 प्रतिशत तक विटामिन सी, बी, जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, एजिथ्रोमाइसिन, खांसी व पैरासिटामाल, डॉक्सीसाइक्लिन, आइवरमेक्टिन, पैंटाप्रोजोल, रैबिप्रोजोल, शुगर, हाइपरटेंशन, रेमडेसिविर, फैबिफ्लू जैसी दवाएं और पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन कसन्ट्रेटर, सिलिंडर जैसे उपकरणों की बिक्री हुई।

आमतौर पर स्टेरायड की बिक्री कम ही रहती है, पर दूसरी लहर में स्टेरायड की टेबलेट और इंजेक्शन की जमकर बिक्री हुई है। 10 दिनों में ही स्टेरायड की बिक्री 100 गुना तक बढ़ गयी थी। अभी तक करीब दस करोड़ रुपए के स्टेरायड बिक चुके हैं, जबकि पहले महीने भर में सिर्फ 20 लाख रुपए के स्टेरायड की बिक पाते थे। दवा व‍िक्रेताओं के अनुसार मेडरॉल, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडेसिविर, फैबिफ्लू, मल्टीविटामिन, जिंक, विटामिन सी, एंटी एलर्जिक एवं कफ सीरप, विटामिन डी, मोंटेलुकास्ट-लेवोसेट्रिजिन, गैस, स्टेरॉयड, शुगर, हाईपरटेंशन व खून पतला करने वाली दवा व इंग्जेक्शन।

 

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