खोखले हो रहे हरियाणा के जवान

देसी खुराक से स्टेमिना बनाने की बजाय स्टेरायड दवाओं के आदी हो रहे युवक
नारनौल:  सेना में भर्ती होने के लिए जवान का फिटनेस बेहद अहम होता है, लेकिन नशे और अन्य वजहों से सेना में भर्ती होने की तैयारियों में जुटे युवाओं का शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है। फिटनेस बरकरार रखने व स्टेमिना बनाने के लिए अब युवाओं ने भारी मात्रा में स्टेरायड  दवाओं का इस्तेमाल शुरु कर दिया है, जो उनके शरीर को खोखला तो कर ही रही है, साथ ही अंधाधुंध प्रयोग से जानलेवा भी साबित हो सकता है।
प्रदेश के गबरु जवानों का स्टेमिना दिनों-दिन घटता जा रहा है। इसके पीछे काफी वजह बताई जा रही है। लेकिन युवा अब स्टेमिना बरकरार रखने के लिए दूध-दही व घी की खुराक खाने व कसरत करने की बजाए स्टेरायड  दवाओं का प्रयोग करने लग गए है। इन दवाओं में विभिन्न तरह के एलोपैथी व आयुवेर्दिक टेबलैट, कैप्सूल व इंजेक्शन शामिल है।
शार्टकट तरीका: सेना के एक भर्ती अधिकारी के मुताबिक युवक भर्ती प्रक्रिया के दौरान फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए इन दिनों गलत हथकंडा अपनाकर जान जोखिम में डाल रहे है। भर्ती प्रक्रिया के दौरान दर्जनों युवक इन्ही वजहों से भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिए जाते हैं। उनके अनुसार इन दिनों युवकों द्वारा हाईट बढ़ाने के लिए भर्ती से 4 से 5 दिन पूर्व डंडे या किसी भारी भरकम वस्तु से सिर को सुजा लिया जाता है। अभ्यर्थी का यदि बारीकी से मेडिकल होता है, तब यह कलाकारी पकड़ में आती है। इसके अलावा सबसे शार्टकट तरीका दौड़ में अपनाया जा रहा है। दौड़ के लिए युवक सांस की दवाईयों का सबसे अधिक सेवन करते है।
जेब और स्वास्थ्य पर मंहगा
सरकारी नौकरी की चाह में युवाओं द्वारा शारीरिक दक्षता परीक्षा में पास होने के लिए अब साल भर अभ्यास करने और शुद्ध दूध-घी की खुराक खाने की बजाय स्टेरायड पर अधिक भरोसा किया जाने लगा है। इसके लिए युवाओं को पैसों की फ्रिक भी नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ युवकों ने बताया कि एक माह में दवाओं और खुराक पर तीन से चार हजार रुपए का खर्च आ जाता है। लेकिन खर्च से अधिक कॅरिअर बनाने की चिंता है। एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में विभिन्न कंपनियों के फूड़ सप्लीमेंट, आयुर्वेदिक कैप्सूल, टेबलैट व इंजेक्शन की बिक्री करोड़ों रुपए की है, सेना और प्रादेशिक सेना के अलावा खिलाडिय़ों और सिक्स पैक्स बनाने वाले युवा इन उत्पादों का जमकर उपयोग करते है। जबकि इनका प्रयोग चिकित्सक के दिशा-निर्देश में किया जाना उपयुक्त रहता है।
डॉ. सत्तपाल यादव के मुताबिक स्टेरायड का एक समूह है, जिसे स्टेरायडल सप्लीमेंट भी कहा जाता है। यह हेल्थ फूड के अलावा काफी दवाओं के रुप में भी बाजार में उपलब्ध है। युवा इसका प्रयोग सहन क्षमता, ताकत और मांसपेशियों का भार बढ़ाने में अत्यधिक करते है। लेकिन इसके विपरित ये शरीर पर बहुत घातक प्रभाव डालते है। स्टेरायड शरीर के कुदरती हृामोन स्व्रन की क्षमता प्रभावित करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देते है। जिससे बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। युवाओं में स्टेरायड की बढ़ती प्रवृत्ति गहरी चिंता का विषय है।
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