इस राज्य में रोजाना डेढ़ लाख रुपये की बिक रही नींद और एंटी डिप्रेसेंट दवाएं, ये है खास वजह

भागलपुर। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन से उपजी मंदी ने लोगों को तनाव और डिप्रेशन का शिकार बना दिया है। इसकी पुष्टि जिले में दवाओं की बिक्री बता रही है। भागलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत लाल ठाकुर बताते हैं कि जिले में कोरोना के दस्तक से पहले यानी जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2020 के दौरान एमपी द्विवेदी रोड स्थित दवा की मंडी से नींद एवं एंटी डिप्रेसेंट दवाओं की बिक्री हर रोज औसतन 50 हजार रुपये की होती थी, लेकिन इस साल अप्रैल 2021 से लेकर इन दिनों इन दवाओं का कारोबार डेढ़ लाख रुपये रोजाना तक पहुंच गया है।

एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं के सेवन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों और इसके उपयोग के बाबत मनोरोग विभाग जेएलएनएमसीएच के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में फैली नकारात्मकता के कारण लोगों में अवसाद और तनाव के मामले देखने को मिल रहे हैं। मुख्य रूप से सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुन के कारण इस तरह की समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं के उपचार में एसएसआरआई (सलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर) समूह की दवाइयां सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं। कोरोना ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को इस कदर प्रभावित किया है कि आने वाले एक-दो साल तक इन दवाइयों की मांग ऐसे ही बढ़े रहने की संभावना है।

डॉ. भगत बताते हैं कि यदि आपको तनाव या अवसाद महसूस हो रहा है तो भी एंटीडिप्रेसेंट्स दवाओं का खुद से सेवन शुरू न करें। इन दवाइयों का स्वयं से सेवन करने और छोड़ देने, दोनों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। नींद के लिए खुद से कोई भी दवा न लें। असंतुलित डोज के कारण इनकी आदत लगने का खतरा रहता है। चूंकि यह दवाएं मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं, इसलिए डॉक्टर के परामर्श के आधार पर ही इनका सेवन करना चाहिए। ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि तनाव-अवसाद के शिकार सभी लोगों को इन दवाओं की जरूरत नहीं होती है।

बड़ी बात यह है कि बहुत सारे लोग बिना डॉक्टर की पर्ची के आते हैं और एंटी डिप्रेसेंट या फिर एंटी एंजाइटी व नींद की गोली मांगते हैं। ऐसे लोगों को बिना पर्ची के एंटी डिप्रेसेंट या फिर नींद की दवा नहीं देने का निर्देश संबंधित दवा दुकानदारों को दिया गया है। बीते सवा साल के अंदर जिले में नींद, एंटी डिप्रेसेंट दवाओं की बिक्री में तीन गुना उछाल आया है। दवाओं की बिक्री को अब जिले में पोस्ट कोरोना मानसिक स्वास्थ्य महामारी के रूप में देखा जा रहा है। मायागंज अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ के मुताबिक, जिले में जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उन्हें मानसिक दिक्कत आ रही है। कोरोना संक्रमित से पीड़ित 30 प्रतिशत लोगों में अवसाद या डिप्रेशन और 96 प्रतिशत पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) और नींद नहीं आने की समस्या देखी जा रही है। इस तरह के मामले की संख्या आगे और भी बढ़ सकती है।

 

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