मेडिकल कालेजों द्वारा ली जाने वाली केपिटेशन फीस अवैध घोषित नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने भारत की मेडिकल कौंसिल को लगभग भंग कर दिया है। यह कौंसिल देश में डाक्टरी की पढ़ाई, मेडिकल कालेजों की मान्यता, डाक्टरों की डिग्रियों और दवाईयों की मान्यता आदि के महत्वपूर्ण फैसले करती है। अदालत ने इस कौंसिल के सारे अधिकार एक नई कमेटी को दे दिए हैं, जिसके अध्यक्ष होंगे, भारत के पूर्व न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा। यह कमेटी तब तक काम करती रहेगी, जब तक कि भारत सरकार इस कौंसिल की जगह कोई बेहतर प्रबंध नहीं करती। मेडिकल कौंसिल जैसी शक्तिशाली संस्था को इतना तगड़ा झटका देने के कारण कई हो सकते हैं? कौंसिल की दुर्दशा का वर्णन करते हुए एक संसदीय कमेटी ने कहा है कि देश में चिकित्सा-शिक्षा एकदम निचले पायदान पर पहुंच गई है। कौंसिल कंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। मेडिकल कालेजों की मान्यताएं देते वक्त उनकी गुणवत्ता का नहीं, करोड़ों रुपये की रिश्वत का ध्यान रखा जाता है। देश के 400 मेडिकल कालेजों से डाक्टरों की उपाधियां लेने वाले नौजवानों में से कइयों को डाक्टरी की प्राथमिक शिक्षा भी पता नहीं होती है। उनकी उपाधियां तो बोगस होती ही हैं, उन्हें प्रवेश देते समय ये कालेज लाखों-करोड़ों रुपये उनसे झपट लेते हैं। फिर ऐसे लोग डॉक्टरी चोला ओढ़ कर मरीजों से वसूली करते हैं। नीम-हकीम की तर्ज पर ये खुले-आम पेशे को बदनाम करते हैं। देखने में आया है कि देश में दवा कंपनियों और डॉक्टरों का गहरा गठजोड़ है, जिन्हें अपने मुनाफे के अलावा किसी की जान की परवाह नहीं। यदि मेडिकल कौंसिल मुस्तैद हो तो इस दुर्दशा पर काबू पाया जा सकता है। संसदीय कमेटी ने जितनी कठोर टिप्पणियां की हैं, उनसे भी तीखी टिप्पणियां अदालत ने इस लचर व्यवस्था को देखते हुए है। उधर, अदालत ने अन्य फैसले में मेडिकल कालेजों द्वारा ली जाने वाली ‘केपिटेशन फीÓ को अवैध घोषित कर दिया है। देश भर के गैर-सरकारी मेडिकल कालेज आजकल छात्रों को भर्ती करते समय उनसे एक से दो करोड़ रुपये तक कालेधन के रूप में वसूलते हैं। अयोग्य छात्र भी पैसे के जोर पर डाक्टरी की डिग्री ले लेते हैं और इस पवित्र पेशे को कलंकित करते हैं। इस खेल में काबिल विद्यार्थी वंचित रह जाते हैं, जिसको लेकर अदालत ने चिंता व्यक्तकी। विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल के नाम पर खर्चीली ‘एलोपेथीÓ पर जोर देना और अपनी आयुर्वेदिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा की उपेक्षा करना उचित नहीं है। ये दोनों प्रवृत्तियां भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं और चिकित्सा को मंहगा बनाती है।

हरियाणा में 21 जून को मनाया जाएगा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस  
चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का केंद्र इस बार हरियाणा रहेगा। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में किसी तरह की खामी न रहे, इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कमर कस कर जुट गए हैं। राज्य से 84 साधकों को पंतजलि योग पीठ हरिद्वार में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण शिविर में योग गुरू बाबा राम देव के सानिध्यप्राप्त महाभट्ट योग शिक्षकों ने साधकों का ज्ञानवद्र्धन किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न विभागों सहित आयुष विभाग के 21 योग प्रशिक्षकों ने भी हिस्सा लिया। साथ ही, शिक्षा विभाग में कार्यरत 21 डीपीई, 21 पंतजलि योग पीठ के मास्टर प्रशिक्षक तथा उत्कृष्टï योग करने वाले 21 पुलिस कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलवाया गया।  प्रशिक्षित साधकों को जिलों में मास्टर प्रशिक्षकों के तौर पर जिम्मेदारी दी जाएगी।
केन्द्र सरकार ने इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को चंडीगढ़ में मनाने का निर्णय लिया है, जिसमें हरियाणा के 10 हजार साधक भाग लेंगे। आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों, उपमंडल तथा तहसील स्तर भी इसका आयोजन किया जाएगा।
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