अस्पताल में ढाई माह से है दवा की कमी, इधर -उधर भटक रहे मरीज

मुंगेर। बेहतर चिकित्सीय सुविधा की आस लिए सदर पहुंचाने वाले मरीजों को दवा से ज्यादा दुआ के भरोसे रहना पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह है अस्पताल में जरूरी दवाओं की कमी। अस्पताल में खांसी, उल्टी, सांस फूलने सहित एंटिबाइटिक दवाइयां नहीं हैं। मरीज के स्वजनों को निजी दुकानों से इन बीमारियों की दवा खरीदनी पड़ रही है। अब आपको ये भी बता देतें है कि कौन-कौन सी दवा नहीं है। आयरन टबलेट, अमिट्राफाइलिन, एमोक्सीसिलन, एसपीडिन, ट्रीमेक्साजोल, खांसी सिरप कैल्शियम,गेमावेनक्लाटिन,थाइरोक्सीन, विटामिन, बी- काम्पलेक्स ये है वो दवाएं जो अस्पताल से गायब है।

तो वहीं दूसरी तरफ मरीजों के परिजनों का कहना है कि पर्ची पर चिकित्सक जो दवाइयां लिखते हैं उसमें से ज्यादातर दवाइयां अस्पताल के काउंटर पर नहीं मिलता। बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है। सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है। लेकिन गरीब मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है। अस्पताल में कई जरूरी दवाइयां नहीं है। ऐसे में बाहर से खरीदने की मजबूरी है। जब किसी स्वास्थ्य कर्मी से पूछते हैं तो सही से जवाब भी नहीं देते। तो वहीं सदर अस्पताल, मुंगेर के उपाधीक्षक -डा. रामप्रीत सिंह ने बताया कि दवा की कमी को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। दवाइयों की आपूर्ति को लेकर विभाग को पत्र भेजा गया है। आपूर्ति जल्द हो जाएगी।

दरअसल पूर्व में अस्पताल में दवाओं की कमी होने पर स्थानीय स्तर पर भी दवा की खरीदारी की जाती थी। अब बजट की कमी का हवाला देकर स्थानीय स्तर पर दवा की खरीदारी नहीं की जाती है। स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि पटना से जो सप्लाई आ रही है उनमें कई गैर जरूरी दवाइयां हैं। जिस दवा की सर्वाधिक आवश्यकता है, वह नहीं आ रही है। ऐसे में मरीज के स्वजनों की जेबें ढीली हो रही हैं। हर दिन सौ से ज्यादा मरीज बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर का मामला कम होने के बाद अस्पताल के आउटडोर में मरीजों का इलाज और इनडोर में भर्ती किया जा रहा है। सदर अस्पताल में हर दिन 450 मरीजों का इलाज आउटडोर में इलाज किया जाता है। अस्पताल में दूर दराज गांव के ग्रामीण इलाके के मरीज इस उम्मीद के साथ सदर अस्पताल पहुंचते हैं कि उनकी बीमारी का बेहतर इलाज होगा।

चिकित्सक मरीज को देखने के बाद पर्ची पर दवा लिखते हैं। मरीजों से बात करने पर पता चला कि डाक्टर पर्ची पर सात-आठ दवाइयों के नाम लिख देते हैं। उनमें से दो-चार दवाइयां ही काउंटर पर मिलती हैं। बाकी उन्हें बाहर के मेडिकल स्टोर से ही खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में मरीजों को महंगी दर पर निजी दवा दुकानों से दवा खरीदनी पड़ती है। आउटडोर के 71 में 53 दवा ही उपलब्ध है, जबकि इंडोर विभाग में 92 में 70, इमरजेंसी में 28 में 20 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हैं। दवाइयों की कमी मई माह से है। कोरोना का मामला बढ़ने की वजह से कम संख्या में ही मरीज इलाज को पहुंच रहे थे। इस कारण अस्पताल प्रबंधन की ओर से समाप्त हुई दवाइयों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब कोरोना का मामला कम होने के बाद मरीजों की संख्या बढ़ी तो दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो सकी।

 

 

 

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