डॉ गौतम अलाहबादिया (Dr Gautam Allahbadia): बांझपन की निषिद्धियों को तोड़, समाज में ला रहे जागरूकता की बयार

Dr. GautamAllahbadia is breaking the prohibitions of infertility

भारतीय समाज में सफल जीवन का शुरुआती मतलब होता है बीवी, बच्चा और घर। किसी भी महिला का जीवन तभी सफल व सुखी माना जाता है जब उस का बच्चा हो जाए, बाँझपन को हमेशा से इस देश के गाँवों व शहरों में भी एक हीन भावना से देखा गया हैं। इसी रूढ़िवादी सोच को खत्म करने में प्रयासरत है डॉ. गौतम अलाहबादिया (Dr Gautam Allahbadia)। डॉ. अलाहबादिया के पास 150 से अधिक सहकर्मी समीक्षित प्रकाशन हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड का भी हिस्सा हैं। वह वर्तमान में जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया और आईवीएफ लाइट (जर्नल ऑफ मिनिमलस्टिमुलेशन आईवीएफ) के संपादक हैं। अपने अब तक के करियर के दौरान, डॉ. अलाहबादिया ने नए प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले प्रोटोकॉल विकसित करने और भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रियाओं में अल्ट्रासाउंड के उपयोग का प्रचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पिछले कुछ दशकों में इंसानों ने हर चीज का इलाज या आसान तरीका खोज लिया है। मानव प्रजनन अनुसंधान एक ऐसा क्षेत्र है जहां वैज्ञानिक और नैतिक दोनों प्रकार की चुनौतियां हैं, जो परंपरागत रूप से बांझपन के उपचार के विकास में बाधा डालती हैं। दुनियाभर में बहुत से जोड़ों को प्रजनन क्षमता का वरदान नहीं मिला है और वे दशकों से मानसिक सामाजिक दबाव का सामना कर रहे हैं। वर्षों के शोध और प्रयोगों के बाद, डॉक्टरों ने बांझपन के जेनेटिक समस्याओं के उपचार के लिए इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की तकनीक को ईजाद किया। आईवीएफ कई प्रक्रियाओं की एक जटिल श्रृंखला है जिसका उपयोग प्रजनन क्षमता में मदद करने या आनुवंशिक समस्याओं को रोकने और गर्भाधान में सहायक है।

भारत में, कई ग्रामीण, दूरदराज के इलाके हैं जहां आईवीएफ प्रक्रियाओं के बारे में कोई जागरूकता नहीं है। वहां कई लोग उम्मीद की किरण छोड़कर अपने माता-पिता बनने के सपने को त्याग देते हैं। आज के समय की मांग है कि बदलाव लाया जाए और इसके साथ ही माँ-बाप बनने के वैज्ञानिक तकनीकों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए।

इन्हीं सबको देखते व सुनते हुए डॉ. गौतम अलाहबादिया (Dr Gautam Allahbadia) आईवीएफ उपचार के प्रचार में पिछले 3 दशकों से सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। डॉ. अलाहबादिया ने बांझपन की समस्या को स्वीकार किया है और ग्रामीण क्षेत्रों में पेशेवर परामर्श न लेने की समस्या को समझा है। सहायक प्रजनन विशेषज्ञ के रूप में दुनिया के कई देशो में ख्याति प्राप्त कर चुके, डॉ. गौतम अलाहबादिया ने अपने करियर के पिछले तीन दशकों में करीब दस हजार जोड़ों के माता-पिता बनने के सपने को पूरा करने में मदद की है।

आपको बतादे कि भारत में करीब 10% से 15% विवाहित जोड़े ऐसे हैं जो माँ-बाप नहीं बन पाते। देश के 2.75 करोड़ ऐसे जोड़ों में से लगभग 30 लाख को आईवीएफ की जरूरत है। शहरों के ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी जरूरत अधिक है क्योंकि वहां उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की कमी है और आईवीएफ प्रक्रिया के बारे में जागरूकता भी काम है। कुछ तथ्य तो यह भी बताते है कि कृत्रिम गर्भाधान अभी भी ग्रामीण इलाको में वर्जित है इसीलिए उन क्षेत्रों में ऐसे उपचारों की लोकप्रियता काफी काम है।

भारत के ग्रामीण क्षेत्र में संसाधनों की कमी तो है ही, साथ में लोगों के बीच पहल की भी कमी है। साक्षरता दर बहुत कम है और आईवीएफ तकनीक को अभी भी एक चिकित्सकीय उन्नति के बजाय वर्जित के रूप में देखा जाता है। हालांकि, डॉ. गौतम अलाहबादिया (Dr Gautam Allahbadia) जैसे कुछ डॉक्टर और चिकित्सा पेशेवर वास्तविकता को बदलने और बड़े पैमाने पर बदलाव लाने में प्रयासरत हैं।

डॉ. गौतम नंद अलाहबादिया ने आईवीएफ तकनीक की विविधता को आगे बढ़ाने में काफी दिलचस्पी दिखाई है। इनकी ईजाद की गई प्रविधि “आईवीएफलाइट” जोकि पारंपरिक आईवीएफ प्रोटोकॉल से अलग एक सुलभ उपचार के लिए जाना जाता है, आज दुनिया के कई देशों में प्रचलित है। इस प्रक्रिया में कम दवाएं और कम इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में कम लेकिन उच्च कोटि के मादा जनन-कोशिकाओं (ओवम) का उत्पादन होता है। साथ ही आईवीएफ लाइट पुराने रोगियों में भी पारंपरिक आईवीएफ की तुलना में गर्भावस्था की दर को बेहतर बनाता है।

भारत में उच्च कोटि के प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के विकास की बात करें तो डॉ.अलाहबादिया का योगदान अतुलनीय है। भारत में कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया को एक उच्चतम स्तर पर ले जाना उनका स्वप्न है। प्रजनन सेवाओं के विस्तार में अग्रणी होने के साथ-साथ, अब उनका लक्ष्य देश के ग्रामीण क्षेत्र के लिए आईवीएफ उपचार को सुलभ बनाना है। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, ओडिशा जैसे कई राज्यों में चिकित्सा सेवाओं और अवसरों की कमी है जो वर्तमान में भारत के महा नगरीय शहरों में व्यापक रूप से प्रचलित हैं।

मातृत्व दुनिया का सबसे बड़ा और खूबसूरत अनुभव है। इस बात को डॉ. गौतम अलाहबादिया बखूबी समझते हैं और अपने करियर का एक बड़ा हिस्सा दुनियाभर के दम्पत्तियों को इस सुख का अनुभव कराने में समर्पित किया है। दुबई में रहकर देश-दुनिया में ख्याति प्राप्त करने के बाद अब वो अपना पूरा ध्यान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आईवीएफ को लोकप्रिय और स्वीकार्य बनाने में है।

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