बंदी के कगार पर फार्मा इंडस्ट्री, औषधि विभाग की कार्यशैली बन सकती है वजह

कानपुर। एक तरफ प्रदेश सरकार फार्मा इंडस्ट्री के विकास को लेकर गंभीर है तो दूसरी तरफ औषधि विभाग अपनी कार्यशैली के चलते फार्मा इंडस्ट्री को चौपट करने पर तुला है। यह चिंता फार्मा मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की वार्षिक आम सभा में प्रदेश के प्रमुख फार्मा उद्यमियों ने जताई। शुक्रवार को रेव मोती स्थित जलसा हाल में फार्मा मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की 47 वीं आमसभा में चंद्रेश भार्गव को अध्यक्ष, अतुल सेठ को महामंत्री, निखिल चंदू को कोषाध्यक्ष और एनके गुप्ता को स्पीकर चुना गया।

इस अवसर पर नवनियुक्त महामंत्री अतुल सेठ ने कहा कि यह प्रदेश का सबसे पुराना एकलौता संगठन है जो 47 साल से फार्मा उद्यमियों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। दवा उद्योगों से संबंधित औषधि विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अकेला यही एक ऐसा उद्योग है जिसमें शिक्षित रोजगार के वृहद अफसर हैं लेकिन 3 साल से औषधि विभाग के मुख्यालय में कार्यरत उच्च अधिकारियों की कार्यशैली के चलते नए उद्योगों के आने की संभावनाएं खत्म हो रही हैं और वर्तमान इकाइयों को भी अपना अस्तित्व बचाए रखना नामुमकिन हो रहा है।

इसके विपरीत पड़ोसी राज्यों में विभाग और उद्यमियों के आपसी सहयोग से फार्मा इंडस्ट्री तेजी से डेवलप हो रही है जिसका नतीजा है कि प्रदेश के उद्यमी भी पलायन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पहले औषधि विभाग नए केमिस्ट की स्वीकृति के लिए इंटरव्यू का आयोजन करता था जिसके चलते प्रदेश में फार्मा शिक्षित युवकों के लिए रोजगार के अवसर मिलते थे लेकिन पिछले काफी समय से यह प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द समस्याओं का निराकरण कराया जाए ताकि प्रदेश में भी फार्मा इंडस्ट्री तेजी से डेवलप हो सके।

Advertisement