अब दवा की कालाबाजारी करने वालों की खैर नहीं, इन व्‍यवस्‍थाओं के साथ प्रशासन अलर्ट

मेरठ। कोरोना महामारी ने पूरे देश में तबाही का मंजर दिखा दिया है। और कुछ लोग इस आपदा में अवसर तलाश रहे थे। बताना लाजमी है कि कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरीके से आतंक मचाया था उस समय दवा से लेकर ऑक्सीजन तक की भारी कमी का सामना करना पड़ा था और ऐसे में कुछ लोग कालाबाजारी करके करोडो रुपए कमा रहे थे। बता दें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आक्सीजन की किल्लत के साथ ही उपचार में प्रयोग होने वाली दवाइयों व पल्स आक्सीमीटर, आक्सीजन फ्लो समेत मास्क तक की कालाबाजारी का सामना करना पड़ा था। तीसरी लहर में ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े, इसके लिए ड्रग विभाग ने अभी से कोरोना उपचार के प्रोटोकाल में शामिल दवाइयों व अन्य सामग्री के स्टाक की पर्याप्त उपलब्धता को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं। साथ ही प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने अव्यवस्था के खिलाफ शिकंजे की तैयारी कर ली है।

ड्रग इंस्पेक्टर पवन शाक्य ने बताया कि कालाबाजारी की शिकायत पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। दवा की कालाबाजारी करने वालों पर नजर रहेगी। आक्सीजन की भरपूर उपलब्धता को लेकर औद्योगिक आक्सीजन वालों को मेडिकल आक्सीजन की ग्रेड में लाने को लेकर प्रेरित किया जा रहा है। कोरोना की दवाइयों के पर्याप्त स्टाक के लिए संबंधित दवा की कंपनियों के स्टाकिस्ट आदि जिले में बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है।

दरअसल, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कालाबाजारी का आलम यह था कि सात सौ से लेकर नौ सौ रुपये में ब्रांडेड पल्स आक्सीमीटर के स्थान पर 15 सौ से लेकर 18 सौ रुपये तक में चाइनीज पल्स आक्सीमीटर बिका था। इसके अलावा रक्त को पतला करने वाला इंजेक्शन, रेमडेसिविर इंजेक्शन व अन्य जीवनरक्षक दवाइयों की बाजार में किल्लत होने के साथ ही इनकी खूब कालाबाजारी हुई। मास्क, सैनिटाइजर के साथ-साथ कई नामी कंपनियों की विटामिन की गोलियां बाजार से गायब थीं। इस बार लोगों को ऐसी असुविधा न हो, इसके लिए ड्रग विभाग दवाइयां व अन्य जरूरी उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता को प्राथमिकता में रखे हुए हैं।

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