डॉक्टर की सलाह के बिना दवा लेना शरीर के लिए हो सकती है बेहद घातक

नई दिल्ली। आज के समय में ज्यादा तर लोग खुद से ही दवा ले लेते है। लेकिन क्या आपको पता है कि जो दवा आप बिना डॉक्टर की सलाह से ले रहे हो वो बेहद घातक साबित हो सकते है। दरअसल अगर किसी को बुखार,खांसी,जुखाम जैसी बीमारी हो जाती हो तो ज्यादा तर लोग गूगल करके या फिर अपने मन से दवा ले लेते है। बता दें कि डॉक्टर के पास जाए बिना ली गई दवाओं से भले ही आपको उस समय आराम मिल जाता हो, लेकिन बार-बार ऐसा करने से ये आदत बीमारियां दे सकती है। कहीं आप खुद ही अपने डॉक्टर तो नहीं बन रहे हैं? कभी सिर दर्द हुआ, पेट दर्द हुआ और खुद से ही अपनी पसंद की कोई गोली या दवा ले ली।

यदि ऐसा लंबे समय से कर रहे हैं तो समझिए कि आपको गोलियोंं की आदत पड़ गई है यानी आप पिल्स एडिक्ट हो गए हैं। यह आपके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करके आप अपने जीवन से ही खिलवाड़ करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बिना परामर्श ली गई दवा कई साइड इफेक्ट दे सकती हैं। इससे मेडिकेशन ऐसिड रिएक्शन या हार्टबर्न हो सकता है। यही नहीं पेट के अल्सर, किडनी और लिवर डैमेज व हार्ट अटैक भी हो सकता है।

आप बात-बात पर गोली लेेते हैं। कई बार गोली लेना आपकी मजबूरी बन जाती है। आप जरूरत से ज्यादा डोज का इस्तेमाल करने लगें, तो समझिए कि आपको पिल्स एडिक्शन हो गया है। इसमें आप लगातार गोली लेते हैं, फिर चाहे वह आपकी जॉब परफॉर्मेंस, रिलेशनशिप या जिंदगी का कोई भी खराब पहलू हो, आपको गोली लेना ही सबसे ठीक समाधान लगता हो।

दर्द निवारक से नुकसानइस मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा लापरवाह होती हैं। थोड़ा सा दर्द हुआ नहीं कि बिना किसी परामर्श के ले ली कोई भी दवा। अपनी मर्जी से दर्द निवारक लेने की वजह से पेट संबंधी बीमारी, कानों में सीटियां बजना, चमड़ी पर निशान और रेशेज उभरना, रक्त संबधी, मूत्र संबंधी, कब्ज, बालों का गिरना, नींद न आना जैसी बीमारियां घेर लेती हैं।

छोटी-छोटी बीमारी पर दवा लेने से बचाव का सबसे सही तरीका है खुद का डॉक्टर न बनना। किसी भी तरह के विकार होने पर किसी विशेषज्ञ की मदद लें। लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लाएं। कम से कम अकेले रहें। हैल्दी डाइट लें, नियमित रूप से व्यायाम करते रहें। मेडिटेशन, योगा और वॉकिंग करना अच्छा होगा। छोटी-मोटी बीमारी के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों और परंपरागत पद्धतियों का सहारा लें। इसके अलावा गु्रप थैरेपी भी एक ऑप्शन हो सकता है। जो लोग इस लत के शिकार हैं उनसे बात करें, चर्चा करें और खुद को इस लत से बाहर आने के लिए प्रेरित करें।

लोग सभी तरह की गोली जैसे पेन किलर्स, एंटिडिप्रेशंट और यहां तक कि कफ सिरप के भी एडिक्ट हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में यह एडिक्शन तब शुरू होता है, जब वे खुद ही अपना ट्रीटमेंट करना शुरू कर देते हैं। जब आप नींद की गोलियां और एंटिबॉयटिक अपनी मर्जी से लेते हैं, तो ये आपके लिए बेहद नुकसानदेह हो सकती हैं। खासतौर पर जब आपको नहीं पता कि आप इसके जरिए कौन से स्पेसिफिक कंपाउंड ले रहे हैं? आपको इसकी कितनी डोज की जरूरत है और आपको यह दवाई कितने समय तक लेनी है? इस कन्फ्यूजन में आप और ज्यादा बीमार हो जाते हैं।

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