नशीली दवा के कारोबारी को मिली कठोर कारावास, एक लाख जुर्माना के साथ दस साल की सजा

अंबिकापुर। नशीली दवा के कारोबार में शामिल एक युवक को विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट डीएन भगत की अदालत ने दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड जमा नहीं करने पर तीन वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय से मिली जानकारी के मुताबिक गांधीनगर थाना क्षेत्र के माखन विहार मनेंद्रगढ़ रोड में छह अक्टूबर 2018 को शाम करीब साढ़े चार बजे गांधीनगर पुलिस ने गोधनपुर निवासी 30 वर्षीय रितेश कुमार डांगी पिता महेंद्र प्रसाद को स्कूटी क्रमांक सीजी 15 डीजे 1944 की सीट के नीचे डिक्की में एक पारदर्शी पन्नी में प्रतिबंधित नशीली दवाओं के साथ पकड़ा था, जिसमें बड़ी मात्रा में दवाइयां व सिरींज, कफ सिरप बरामद की गई थी।

मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायालय एनडीपीएस के न्यायाधीश डीएन भगत ने उक्त सजा सुनाई है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि आरोपित के पास से अवैध नशीला इंजेक्शन जब्ती से अपराध प्रमाणित हुआ है, जो एक गंभीर प्रकृति का अपरोध है। आरोपित इसे विक्रय करने हेतु अपने कब्जे में रखा था। मादक पदार्थों का विक्रय सामाजिक व आर्थिक दोनों ही रूप से अपराध है। मादक पदार्थ के सेवन से युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ रही है जिससे उनके भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उस प्रभाव से देश व समाज भी अछूता नहीं रहा है।

क्योंकि अधिकांश अपराध नशे की गिरफ्त में आए युवकों के द्वारा ही किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में आरोपित का अपराध उसके द्वारा अभिरक्षा में बिताई अवधि से दंडित किए जाने के तुल्य नहीं है। अतः आरोपित को स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा 22 सी के अंतर्गत सजा सुनाई जाती है। न्यायालय ने आरोपित की दो वर्ष नौ माह 28 दिन न्यायिक अभिरक्षा में बिताई अवधि को कारावास के दंडादेश में समायोजित किए जाने का फैसला सुनाया है। इस मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक आरएन प्रसाद ने पैरवी की।

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