सरकारी अस्पतालों में ब्रांडेड दवाइयां लिखने वाले डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई, आदेश जारी

देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जेनेरिक दवाइयों की जगह ब्रांडेड दवाइयां लिखना डॉक्टरों को भारी पड़ेगा। यदि किसी डॉक्टर की ओर से पर्ची पर ब्रांडेड दवाई लिखी जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने आदेश जारी किए हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आम लोगों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश में विभिन्न सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोले गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने भी जेनेरिक दवाइयां लिखने को लेकर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए थे। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने आदेश जारी कर सभी जिला चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जेनेरिक दवाइयां ही लिखी जाएं। यदि किसी डॉक्टर की ओर से मरीजों को ब्रांडेड कंपनियों की दवाइयां लिखी गईं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
वहीँ हरिद्वार में रावली महदूद स्थित एक मेडिकल स्टोर पर नशे के इंजेक्शन मिलने पर स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा किया था। ग्रामीणों का गुस्सा देख संचालक मेडिकल स्टोर बंद कर गायब हो गया। जब ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया, स्टोर बंद होने पर उसे सील कर दिया गया। लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सिडकुल थाना क्षेत्र के गांव रावली महदूद में पूर्णिमा मेडिकल स्टोर पर एक ग्रामीण दवाई लेने गया था।

मेडिकल संचालक ने युवक को नशे के इंजेक्शन उठाकर दे दिए थे। युवक घर पहुंचा तो इंजेक्शन देख परिवार वाले आग बबूला हो गए। उन्होंने ग्रामीणों से साथ मेडिकल स्टोर पर आकर हंगामा कर दिया था। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची थी। इसके बाद से स्टोर बंद है। औषधि निरीक्षक अनीता भारती मेडिकल स्टोर पर पहुंचीं। स्टोर बंद था।
उसके संचालक अमित कुमार को बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आया। इसके बाद औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने स्टोर को सील कर दिया। अनीता भारती ने बताया कि मेडिकल स्टोर का लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

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