रिम्स में मरीजों को नहीं मिल सकेंगी फिलहाल सस्ती दवाएं, जनऔषधि केंद्र का टेंडर हुआ रद

रांची,जासं। रिम्स में मरीजों को फिलहाल सस्ती दवाएं नहीं मिल सकेगी। परिसर स्थित पीएम जन औषधि केंद्र में दवा की आपूर्ति के लिए निकाला गया टेंडर रद कर दिया गया है। अब दोबारा टेंडर किया जाएगा।यह प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 15 दिनों का समय लगेगा। शुक्रवार की देर शाम खुले टेंडर में कई अनियमितताएं पाई गईं।, जिसके बाद इसे रद करने का फैसला लिया गया।तय किया गया कि फिर से नया टेंडर निकालकर दवा एजेंसियों को आमंत्रित किया जाएगा।

खरीदनी होगी महंगी दवा : रिम्स में भर्ती मरीज हो या ओपीडी में आने वाले मरीज। सभी को मौजूदा स्थिति में महंगी दवा ही खरीदनी होगी। इस जन औषधि केंद्र में लोगों की जरूरत की कोई दवा ही नहीं मिल रही है। इंजेक्शन से लेकर एंटीबायोटिक तक नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि डाक्टर वह एंटीबायोटिक दवाएं लिखते हैं,जो औषधि केंद्र में नहीं मिलती है। इसकी जानकारी डाक्टरों द्वारा प्रबंधन को नहीं दी जाती।

रिम्स के जन संपर्क पदाधिकारी डा डीके सिन्हा ने बताया कि दोबारा टेंडर में एक माह से अधिक का वक्त लग सकता है। इसे देखते हुए जीपी सेल्स दवा एजेंसी को दवा सप्लाई करने का निर्देश दिया गया है। उन्हें 148 तरह की दवाओं की आपूर्ति करने को कहा गया है। मालूम हो कि अभी तक इस जन औषधि केंद्र में 50 तरह की भी दवाएं उपलब्ध नहीं है। जिसका फायदा आसपास के दुकानदार ब्रांडेड दवा महंगे दाम पर बेच कर उठा रहे हैं।

रिम्स के अधिकारी डा राकेश ने बताया कि जो टेंडर पिछले माह निकाला गया था। उसमें ही कई बातें स्पष्ट नहीं थी। इसे लेकर शुरुआत में ध्यान नहीं गया। जब टेंडर खोला गया तो एजेंसियों की ओर से दी गई सूचना स्पष्ट नहीं मिली। इसमें एजेंसियों की गलती नहीं थी, बल्कि टेंडर में जो नियम-शर्तें रखी गई थी वो ही अधूरी थीं। इस टेंडर के लिए पांच एजेंसियों ने आवेदन भरा था।

जिस एजेंसी को चयन होगा, उसे संचालित करने दी जाएगी दुकान : निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि जिस भी एजेंसी का चुनाव होगा। उसे दुकान संचालन की अनुमति प्रदान की जाएगी। संबंधित दुकान में केवल जन औषधि की ही दवा उपलब्ध होगी। नियम के अनुसार ही दवाओं की बिक्री की जाएगी। जिस एजेंसी को भी टेंडर मिलेगा, उसे सभी जरूरी दवाएं मुहैया करानी होंगी।

टेंडर रद करने की दो मुख्य वजह

– टेंडर में ड्रग लाइसेंस नया देना था या पुराना इसका जिक्र नहीं था जिस कारण आवेदकों ने कई वर्ष पुराना ड्रग लाइसेंस दे दिया।टेंडर में एजेंसी के सेल्स व पर्चेज का टर्नओवर बताने के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिया गया था। जबकि आवेदकों को सिर्फ दवा से जुड़े टर्नओवर दिखाना था, लेकिन कुछ ने कोल माइंस का टर्नओवर दिखाया तो किसी ने किराने की दुकान का दिखाया।

दवा के बाद अब जांच में भी आत्मनिर्भर बनेगा रिम्स, हटेंगे मेडाल व हेल्थ मैप : रिम्स से दवाई दोस्त को हटाने के बाद अब जांच करने वाली एजेंसियों को भी हटाने की तैयारी चल रही है। दवाई दोस्त को हटाने के बाद रिम्स जन औषधि केंद्र को दुरुस्त करने में जुट गया है। दूसरी ओर रेडियोलॉजी से लेकर पैथोलॉजी तक की पूरी जांच रिम्स अब अपने संसाधन पर करने की तैयारी में है। रिम्स निदेशक ने बताया कि संस्थान के पास अब बेहतरीन सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ ही सेंट्रल पैथोलॉजी को बड़ा किया जा रहा है। ट्रामा सेंटर में हर जांच के लिए मशीनें देखी जा चुकी है और उसके उपलब्ध होने के बाद जांच की पूरी जिम्मेदारी रिम्स खुद उठाएगा। अपनी तैयारी की प्रक्रिया पूरी रफ्तार पर है।

 

 

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