सरकारी अस्पतालों में जल्द दूर होगी दवाओं की कमी, दवा कंपनियों के साथ BMSICL ने किया समझौता

सरकारी अस्पतालों में अक्सर दवा की कमी के मामले सामने आते रहते है। लेकिन अब ये कमी बहुत जल्द दूर होने वाली है। बता दें कि सूबे के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी दूर होगी। आउटडोर व इनडोर मरीजों को नि:शुल्क दवाएं जल्द मिलेंगी।

पटना। सरकारी अस्पतालों में अक्सर दवा की कमी के मामले सामने आते रहते है। लेकिन अब ये कमी बहुत जल्द दूर होने वाली है। बता दें कि सूबे के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी दूर होगी। आउटडोर व इनडोर मरीजों को नि:शुल्क दवाएं जल्द मिलेंगी। बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना विकास निगम (बीएमएसआईसीएल) ने अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने को निर्माणकर्ता कंपनियों से सीधे जिलों में स्थित दवा भंडार में दवाओं की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है। इससे दवा आपूर्ति के लिए राज्य स्तरीय दवा भंडार, पटना या किसी क्षेत्रीय डिपो पर निर्भर नहीं रहना होगा।

सूत्रों के अनुसार, दवा कंपनियों द्वारा जिलों में स्थित दवा भंडारों में सीधे दवाओं की आपूर्ति किए जाने के बाद सरकारी अस्पतालों को दवा की आपूर्ति संबंधित जिला दवा भंडार से सीधे होगी। अस्पताल दवाओं की कमी होने पर जिले में स्थित दवा भंडार से मंगा सकेंगे। राज्य के सभी 38 जिलों में दवा भंडार बनाये गये हैं। साथ ही अब कंपनी से ली जाने वाली दवाओं के सैंपल की जांच के बाद सीधे दवाओं की जिलों में आपूर्ति कंपनी द्वारा करने से समय की बचत होगी। विभाग सुदूर अतिरिक्त प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों तक में नये सिरे से दवाओं को पहुंचाने की व्यवस्था कर रहा है। जिलों में आपात स्थिति में दवाओं के क्रय करने के चक्कर में दवाओं की किल्लत भी इससे नहीं होगी। दवा खरीद व आपूर्ति की लंबी प्रक्रिया के क्रम में मरीजों को निजी दवा दुकानों से खरीद करनी पड़ जाती है।

मरीजों को नि:शुल्क दवाओं के वितरण की सूची में सर्दी-खांसी-बुखार की दवाओं, कफ सिरप सहित गंभीर रोगों ह्दय रोग व कैंसर रोग के लिए भी दवाएं भी शामिल की गयी हैं। इनमें टीबी, मलेरिया, दस्त, चर्म रोग सहित गैर संक्रामक रोगों की भी दवाएं भी शामिल हैं। पहले राज्य स्तरीय व क्षेत्रीय स्तर के दवा भंडार से दवाओं की आपूर्ति की जाती थी। इससे दवा कंपनी से आपूर्ति, फिर उसकी जांच और उसे क्षेत्रीय दवा भंडारों और वहां से अस्पतालों में आपूर्ति करने में काफी समय लग जाता था।

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