दवा के अभाव में जन औषधि केंद्र पर लटका ताला

संतकबीरनगर। हर जगह औषधि केन्द्र खोले जा रहें है। बताना लाजमी है कि औषधि केन्द्र खोलने का सरकार का एक ही मकसद है कि सबको समय और सस्ती दर में दवाएं उपलब्ध हो सकें। मरीजों को कुछ दिन तक कम दामों पर दवाएं आसानी से मिल भी जाती है लेकिन कुछ समय बाद औषधि केन्द्र पर ताला लटका दिया जाता है। इसके पीछे की वजह ये होती है कि औषधि केन्द्र पर दवा का इस कदर अभाव होता है कि मजबूरन ताला लगाना पड़ता है। बता दें कि संतकबीरनगर जिले में जन औषधि केन्द्र अब मरीजों के लिए बेमानी बन गया है। केन्द्र के कर्मचारी ग्रहकों को लौटाते- लौटाते थक चुके हैं और वेतन नहीं मिलने की वजह से उनका परिवार भी भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। अब हारकर औषधि केन्द्र के कर्मचारी ताला जड़कर घर बैठ गए हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि जब दवाएं ही नहीं हैं तो क्या बेचें ? वर्ष 2018 में जन औषधि केन्द्र की स्थापना की गई। केन्द्र की स्थापना के पीछे शासन की मंशा है कि मरीजों को सस्ती दरों पर दवाएं मुहैया हो सके। दो वर्ष किसी प्रकार केन्द्र पर दवाओं की आपूर्ति। जनवरी माह से इस केन्द्र पर दवाएं नहीं आई। दस माह से दवाओं के अभाव में केन्द्र तैनात कर्मचारी भी यह बताते -बताते थक चुके हैं कि दवाएं नहीं है। यही नहीं इस केन्द्र पर तैनात एक फार्मासिस्ट और एक कम्प्यूटर ऑपरेटर को भी दस माह से वेतन नहीं मिला है। वेतन नहीं मिलने की वजह से दोनों कर्मचारियों का परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। हालांकि दवाओं की कमी के बावत शासन में कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन दवाएं आपूर्ति नही की गई हैं और न ही कर्मचारियों को वेतन मिला है। फार्मासिस्ट चंद्रपाल का कहना है कि हर माह दवाओं की आपूर्ति के लिए रिमांइडर भेजा जाता है, लेकिन दवाएं नहीं भेजी जा रही हैं तो मरीजों को क्या दें? इस बारे में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ इंद्र विजय विश्वकर्मा ने बताया कि इस बारे में शासन में पत्र लिखा जाएगा ताकि मरीजों को सस्ती दवाएं मिल सकें।

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