जेनरिक दवाओं को कूड़े के ढेर में फेंका, 50 बोरियां बरामद

दवाएं
दवाएं बरामद

एक ओर सरकार जेनरिक दवाओं के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित कर रही है तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जेनरिक दवाओं को कूड़े के ढेर में फेंकने का मामला सामने आया है। रायबरेली में मामा चौराहे के पास कूड़े के ढेर में फेंकी गई दवाओं की मात्रा बरामद की गई। बोरियां में भरने पर 50 बोरियां लगीं। इतनी बड़ी मात्रा में दवाओं की बरामदगी से दवाई के रख-रखाव को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी ने ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी (DLA) के निर्देश पर फेंकी गई दवाएं 50 बोरियों में भरी गई। अधिकारियों का कहना है कि दवाओं के बैच नंबर से थोक विक्रेता की पहचान की जाएगी।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रायबरेली के मामा चौराहे के पास बड़ी मात्रा में कूड़ा फेंका जा रहा है। इसी ढेर में भारी मात्रा में दवाएं फेंकी गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में दवाओं को फेंकने के लिए किसी वाहन का इस्तेमाल किया गया होगा। ऐसा घृणित कृत्य रात के अंधेरे में किए जाने की आशंका है।

कूड़े में जेनरिक दवाओं की सूचना मिलते ही जिला के औषधि निरीक्षक आनन-फानन में मौके पर पहुंचे। उन्होंने आसपास के दुकानदारों से दवाओं के फेंकने के बारे में पूछताछ की। खबर के मुताबिक जो जेनेरिक दवाएं मिली हैं, इनमें एक्सपायर हो चुकी दवाएं भी शामिल हैं। हालांकि, काफी दवाएं ऐसी भी बरामद हुई हैं, जो अप्रैल या मई में एक्सपायर होनी थी। कई दवाओं के पैकेट भी नहीं खुले।

गौरतलब है कि जेनेरिक दवाओं में मल्टी विटामिन सीरप, कोलिनकाफ खांसी की दवा, जेफवे, ग्लूकोज की बोतल जैसी चीजों की गिनती होती है। विटामिन की दवाएं भारी मात्रा में मिली हैं।

रायबरेली के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी इंद्र बहादुर यादव के आदेश के बाद ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने दवाओं को सीज किया। लखनऊ के ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी मनोज कुमार ने बताया, जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो दवाएं अभी एक्सपायर नहीं हुई, उनके नमूने जांच के लिए भेजे जाएंगे। दवा की आपूर्ति किसे की गई थी इसकी जांच कर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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