क्लिनिकल ट्रायल तो नहीं कर रही कोई दवा कम्पनी, गरीबों को दवा खिला व पिला कर

क्लिनिकल ट्रायल तो नहीं कर रही कोई दवा कम्पनी, गरीबों को दवा खिला व पिला कर

500 रुपए में कौन सी दवा का  कर रहे थे क्लीनिकल ट्रायल।  

मामला ड्रग कंट्रोलर जरनल इंडिया के संज्ञान में लाया मेडिकेयर न्यूज

रोहतक। हरियाणा के रोहतक शहर में एक बहुत सी सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां आंगनबाड़ी में चल रहे एक कैम्प में आस पड़ोस के लोगो को दवाई पिला कर प्रति व्यक्ति 500 रुपए दिए जा रहे थे।  रोहतक के शिवजी  कॉलोनी थाना क्षेत्र  के विश्वकर्मा  स्कूल के पास एक आंगनबाड़ी केंद्र में दो दिनों से एक कैंप का आयोजन किया जा रहा था।

मेडिकेयर न्यूज़ की टीम ने जब कैम्प में पहुँच कर ये जानकारी जुटानी चाही कि  कैम्प में किस चीज़ की दवाई दी  जा रही है तो कैम्प में पहुंची मेडिकल टीम ने मेडिकेयर न्यूज़ की टीम का आईकार्ड चेक करने लगी। इसके बाद जब टीम ने मेडिकल टीम से ये जानकारी जुटानी चाही कि वह किस विभाग से हैं और कौन सी दवाई लोगो को दी जा रही है तो इस सवाल पर मेडिकल टीम भड़क गयी और सामान लपेट कर वहां से फरार होने लगी। शक होने पर आस पास के लोगो ने मेडिकल टीम के 4 लोगो को रोक लिया और उन्हें उनके आईडी कार्ड दिखने के लिए कहा जिसपर ना ही टीम आई कार्ड दिखा पायी और ना ही दवाई पिलाने का कोई अधिकृत पत्र दे पाई।

मौके पर पहुंचे आस पास के लोगो ने जब मेडिकल टीम से पूछताछ की तो उन्होंने रोहतक के एक प्रतिष्ठित संस्थान के एक नामी डॉक्टर का नाम लेकर बताया कि उनकी देख रेख में इस कैंप का आयोजन करवाया जा रहा है। मेडिकेयर न्यूज़ की टीम ने जब सम्बंधित डॉक्टर से  इस बारे में पूछताछ की तो डॉक्टर ने बताया कि यह कोरोना की एक दवा का क्लीनिकल ट्रायल है जिसकी संस्तुति उन्हें विभाग से मिली हुई है। उन्होंने कहा कि लोगो को दूर दराज से  आने और उनके पूरे दिन के मेहनताना के रूप में 500 रुपए दिए जा रहे है।

वही जब हमारी टीम ने उन लोगो से बातचीत की जिन्हे ये दवाई पिलाई गयी थी तो उनके द्वारा बेहद ही चौकाने वाले खुलासे किये गए। लोगो ने बताया कि उन्हें आंगनबाड़ी संचालिका द्वारा घर जाकर ये बताया गया कि आंगनबाड़ी में हैजा रोकथाम की दवाई पिलाई जा रही है। सभी को आधार कार्ड लेकर कैंप में  आना है। इसके बाद जब लोग कैंप पहुंचे तो उनसे उनका आधार कार्ड लिया गया। साथ ही किसी दवाई की कुछ ड्रॉप्स उनके मुंह में डाली गयी और उनके ब्लड सैम्पल्स कलेक्ट किये गए।

ब्लड  सैम्पल्स लेने के साथ ही उन्हें 500 रुपए भी दिए गए और 14 दिन बाद फिर से ट्रायल के लिए आने के लिए कहा।  लेकिन ख़ास बात ये है कि किसी को दवाई हैजा की रोकथाम के लिए बोल कर पिलाई गयी तो किसी को ये दवाई इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने के नाम पर दी गयी। वही एक 60 वर्षीय महिला को ये बोल कर दवाई नहीं पिलाई गयी कि वो इस क्लीनिकल ट्रायल में शामिल नहीं हो सकती।

रोहतक के एक बड़े केंद्रीय संस्थान की मदद से रोहतक के लोगो पर इस तरह का मेडिकल ट्रायल किया जाना वाकई चौकाने वाला है। ये कौन सी दवा है और  किस कंपनी की है इसका खुलासा फिलहाल नहीं हो पाया है लेकिन केवल 500 रुपए देकर आम इंसान की जान को जोखिम में डालना अपने आप में ही  शर्मनाक है। ये एक अहम् सवाल है कि क्या इस तरह के क्लीनिकल ट्रायल की स्वीकृति वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा भारत सरकार को दी गयी है या नहीं।

कोरोना के नाम पर आखिर किस दवा का ट्रायल रोहतक के लोगो पर किया जा रहा था और आखिर किसकी शय पर इतना बड़ा रैकेट आंगनबाड़ी जैसे सरकारी केन्द्रो पर खुले आम चलाया जा रहा है । मामला ड्रग कंट्रोलर जरनल इंडिया के संज्ञान में मेडिकेयर न्यूज लेकर आया है। इसका खुलासा होना बाकि है।

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