सीएजी रिपोर्ट – बिहार में बिना गुणवत्ता परीक्षण खरीदी गई 25 करोड़ की दवा

पटना
बिना गुणवत्ता परीक्षण के ही सूबे के आठ अस्पतालों में 25 करोड़ की दवाओं की खरीद कर ली गई। राज्य स्वास्थ्य समिति के नियमानुसार आपूर्तिकर्ता कंपनी को दवा परीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होता है। दवा नमूनों की जांच संबंधित औषधि निरीक्षक द्वारा की जानी थी। इसी प्रकार जिलों में भंडार के चिकित्सा प्रभारी अधिकारी को दवाओं के नमूने उपलब्ध कराने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार सूबे के आठ जिले कैमूर, नालंदा, समस्तीपुर, शेखपुरा, सीवान, पटना, वैशाली व गया में 12 स्वास्थ्य केन्द्रों के अभिलेख नमूना जांच परीक्षण में पाया गया कि 25 करोड़ आठ लाख रुपए की दवाएं वर्ष 2009-10 से 2011-12 के अवधि के दौरान 77 स्वास्थ्य संस्थाओं व आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई। किसी भी आपूर्तिकर्ता ने दवाओं की आपूर्ति के साथ गुणवत्ता परीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं कियाा। अधिकतर दवाओं का नमूना औषधि निरीक्षक द्वारा नहीं लिया गया। यहां तक कि कुछ नमूनों का गुणवत्ता परीक्षण प्रतिवेदन जो औषधि निरीक्षक द्वारा एकत्र किया गया था, उसे भी प्रस्तुत नहीं किया गया।

पीएमसीएच में दवा खरीद पर 97 लाख का नुकसान – छपरा और सीवान से संबंधित दवाओं केअभिलेखों और औषधि निरीक्षक की रिपोर्ट की आगे की जांच से मालूम हुआ कि 5.89 लाख व 5.70 लाख की दवाएं अमानक थीं। दूसरी तरफ पीएमसीएच में औषधि क्रय में निर्धारित मापदंडों का अनुपालन नहीं करने एवं अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण एंटी हेम्योफिलिक फैक्टर दवा को उच्च दर क्रय करने से सरकार को 97 लाख 20 हजार की हानि हुई।

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