जलोदर, नीरी केएफटी सहित आयुर्वेदिक दवाइओं से हो सकती है ठीक

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नई दिल्ली : तरल पदार्थ जमा होने के कारण पेट फूलने की बीमारी जलोदर (एसाइटिस) के उपचार में आयुर्वेदिक फार्मूले नीरी-केएफटी को बेहद कारगर पाया गया है। इस बात की जानकारी हाल में हुए एक अध्ययन में सामने आई है।
एमिल फार्मास्यूटिकल्स की जड़ी बूटियों से निर्मित नवोन्मेषी दवा नीरी केएफटी न केवल गुर्दे को और अधिक क्षति से बचाने के साथ पेट में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को मूत्र के जरिये बाहर निकालने में मददगार है।
जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में कर्नाटक के मैसूरू स्थित जेएसएस आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पीटल के सहायक प्रोफेसर कोमला ए, प्रोफेसर सिद्धेश अराध्यमठ तथा शोधकर्ता मल्लीनाथ आई. टी. ने ये बातें कही हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती एसाइटिस के रोगियों की ठीक से काम नहीं कर रही किडनी के लिए नीरी केएफटी के साथ आयुर्वेदिक दवाएं दी। इस आयुर्वेदिक संयोजन की 20 मिलीलीटर खुराक-सुबह और शाम-एक महीने तक दी गई। उन्होंने बताया कि इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिले। दवा ने न सिर्फ रोगियों के गुर्दे को क्षतिग्रस्त होने से बचाया, बल्कि पेट में जमा तरल पदार्थ को बाहर निकालने में भी मदद की।

नीरी केएफटी में पुनर्नवा, वरुण, सिगरु, सारिवा, कासनी,मकोय, शिरीष आदि औषधीय जड़ी-बूटियां हैं। किडनी रोगों में यह औषधियां काफी असरदार हैं। एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नीरी केएफटी गुर्दों की कार्य क्षमता को बेहतर कर विषाक्त द्रव को शरीर से बाहर निकालने में मददगार साबित हुई है। अलग अलग चिकित्सीय अध्ययनों में यह वैज्ञानिक तौर पर साबित भी हुआ है।

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