दिल्ली में दर्द से छुटकारे का नया नाम है कोल्ड लेजर थेरेपी

डायबीटिक न्यूरोपैथी के मरीजों के लिए वरदान

 

नई दिल्लीः दिल्ली राहत की सांस लेने लगी है -राहत बदन दर्द से- राहत पीठ के दर्द से, रीढ़ के दर्द से, गर्दन के दर्द से – घुटने के दर्द से। न दवा की और न ही सर्जरी की जरुरत। डायबिटीज के मरीजों को न गैंग्रीन होने एवं न ही अंगों के कटने की नौबत का खतरा। घुटना बदलवाने की भी जरूरत नहीं। राहत देने वाली इस शै का नाम है कोल्ड लेजर थेरेपी।

दक्षिण भारत में कई वर्षों से लोगों को यह राहत दे रही इस थेरेपी की पहली क्लिनिक कुछ महीने पहले ही दिल्ली में खुली है। इस थेरेपी का दावा है कि यह दर्द दूर करने के साथ साथ घुटने बदलवाने एवं डायबिटीज न्यूरोपैथी की वजह से अंगों को काटे जानी की नौबत को भी रोक रही है।गहन शोध एवं सबूत आधारित कोल्ड लेजर थेरेपी दुष्प्रभाव पैदा करने वाली दवा, सर्जरी और गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए के खर्च के दुष्चक्र से छुटकारे का मंत्र है।

इस क्लिनिक की विश्वसनीयता का पैमाना यह है कि पिछले दिनों इसका उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस) के दिग्गज सुरेश जोशी भैया एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने किया। इस थेरेपी और क्लिनिक को दिल्ली लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के पूर्व प्रमुख इसी साल पद्मश्री से नवाजे गए आयोडिन मैन आफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध डा. चंद्रकांत पांडव ने।

कोल्ड लेजर थेरेपी के विशेषज्ञ डा. श्याम रघुनंदन उर्फ डा. नंदन कहते हैं- ये सारे दर्द रोग नहीं हैं, ये लाइफ स्टाइल के परिणाम हैं। इनके लिए दवा और सर्जरी की जरुरत नहीं है। इनके इलाज पर गाढ़ी कमाई के पैसे लुटाने की जरुरत ही नहीं है। कम खर्च में कोल्ड लेजर थेरेपी जो परिणाम देती है वह पैसे फूंकने के बाद भी दवा एवं सर्जरी से संभव नहीं।इन्ही दर्द को बढ़ने दिया जाए तो फिर सर्जरी और दवा सेवन के दुःस्वप्न से गुजरना पड़ता है।

दर्द ने पूरे देश में महामारी का रूप ले लिया है। अगर कोविड के तर्ज पर सोचें तो दर्द का पेनडेमिक यानी पीएआईएनडेमिक फैला हुआ है। दिल्ली में कोल्ड लेजर थेरेपी की पहली डा. नंदन क्लिनिक की वजह से दर्द की इस महामारी से निजात मिलने की आशा जगी है।यह थेरेपी दर्द से तो राहत दिलाती ही है, इसकी एक खास विशेषता यह है किघिस पिस और टूट फूट से क्षतिग्रस्त शरीर के विभिन्न भागों को फिर से नया बना देती है यानी वे भाग फिर से पहले जैसे जीवित हो जाते हैं।

मधुमेह (डायबीटीज) की वजह से शरीर की नसें (खास कर पांवों और हाथों की) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसे डाटबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। ऐसे मरीजों के लिए तो कोल्ड लेजर थेरेपी एक वरदान साबित हो रही है। डायबिटिक न्यूरोपैथी की परिणति गैंग्रीन और अंगों को काटने की नौबत के रूप में होती है। भारत को चूंकि डायबिटीज की दुनिया की राजधानी मानी जाती है इसलिए कोल्ड लेजर थेरेपी से यहां हजारों लोग उस स्थिति से अब बचने लगे हैं। यह इसी थेरेपी का कमाल माना जा रहा है। एक आकलन के अनुसार करीब 50 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज न्यूरोपैथी के शिकार होते हैं।

बैंगलूर सहित दक्षिण भारत के एक दर्जन से अधिक क्लिनिक के जरिए शोहरत हासिल करने के बाद उत्तर भारत आए कोल्ड लेजर थेरेपी के विशेषज्ञ डा. श्याम रघुनंदन उर्फ डा. नंदन पूरे भरोसे के साथ खम ठोक कर कहते हैं- डायबिटीज न्यूरोपैथी के मरीजों को हमारे क्लिनिक में छोड़ जाओ, शर्तिया बिना किसी दवा और सर्जरी के उन्हें असह्य दर्द से तो छुटकारा दिलवाउंगा ही साथ ही साथ गैंग्रीन और अंगों को काटने की नौबत कतई नहीं आने दूंगा।

डा. नंदन के पास इससे ठीक हुए मरीजों का 15 साल का अच्छा खासा साक्ष्य तो है ही, 2019 में एम्स दिल्ली द्वारा कोल्ड लेजर थेरेपी अपनाए जाने के बाद डा. नंदन के दावों पर विश्वसनीयता की मुहर लग गई है। डा. नंदन कहते हैं- 15 साल पहले जब मैंने कोल्ड लेजर थेरेपी शुरू की थी तो डाक्टर इसे पूरी तरह खारिज कर रहे थे। इसकी स्वीकार्यता का भारी संकट था लेकिन 2013 में शिकागो के एक डाक्टर की देख रेख में हमारे रिसर्च के बाद इस थेरेपी को स्वीकार्यता मिलने लगी। फिर एम्स दिल्ली ने भी शोध किया और 2019 में इसे अपनाया। डा. नंदन का मिशन दर्द के लिए रामवाण इस थेरेपी को जन जन तक पूरे देश में पहुंचाना है।

दिल्ली में इसे गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली क्लिनिक दर्जनों मरीज इस थेरेपी से लाभ लेकर राहत की सांस भी लेने लगे हैं। कोल्ड लेजर थेरेपी बुजुर्गों को खास राहत पहुंचा रही है। शाहपुर जाट में सरदार भवन स्थित यह क्लिनिक दक्षिण भारत की तरह ही दिल्ली में भी जल्द ही घर घर का नाम होने वाला है।

बार बार खिंचाव से हुई क्षति, घिसपिस, टूट फूट, पेशेगत जोखिम, गठिया आदि कई वजहों से देश में चारो तरफ लोग बदन के दर्द से पीड़ित हैं। कई महानगरों में घुटने के दर्द की वजह से सोसायटी के ऊंचे ऊंचे घरों में बुजुर्ग नहीं निकल पाने की वजह से जेल जैसा जीवन बिताने का मजबूर हैं। डा. नंदन ने कहा कि उनकी टीम घर घर जाकर ऐसे बुजुर्गों को इलाज देने को तैयार है। डा. नंदन का खुला दावा है कि दर्द की इस महामारी का अभी एक ही इलाज है – वह है कोल्ड लेजर थेरेपी । लोगों में इस थेरेपी के प्रचार प्रसार से हजारों लोगों को दवाओं के सेवन एवं चीर फार से बचाया जा सकता है। इस इलाज के दौरान कोई दर्द भी नहीं होता।

मेडिकेयर न्यूज से बात करते हुए डा. नंदन कहते हैं- मेरा मिशन है रीढ़ एवं घुटने में चोट के मामलों में सर्जरी से लोगों को बचाना है। यह अमेरिका के दवा नियंत्रक एफडीए से स्वीकृत थेरेपी है। हम इस विधा से सिर से पांव तक होने वाली सैक्ड़ों विसंगतियों का इलाज कर सकते हैं। इस थेरेपी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शरीर के घिसे पिटे भागों को नया बना देती है। लेजर घावों को भरने की नैसर्गिक ताकत को बढ़ा देता है इसलिए घाव को भरने एवं दर्द दूर करने के लिए किसी दवा, सर्जरी या डाक्टर की जरूरत ही नहीं पड़ती। इलाज की विधि दर्द रहित होती है और डरने की कोई जरुरत नहीं।यह थेरेपी खेल के दौरान लगे चोट, गाउट (वात रक्त), लगातार तनाव से हुई क्षति, लिगामेंट में तोडफोड़, मोच, टेनिस एलबो, गोल्फर एलबो, फ्रोजेन शोल्डर, डिस्क में उभाड़, रूमेटाइड आर्थ्राइटिस, डिस्क प्रोलेप्स, सर्वाइकल दर्द, घुटने में दर्द जैसी जिद्दी अवस्थाओं का सहज ही इलाज कर सकती है। कोल्ड लेजर थेरेपी एक कम तीव्रता वाला लेजर है। इस थेरेपी में कम तीव्रता वाले प्रकाश का उपयोग होता है।

Advertisement