उत्तर प्रदेश के रामनगर के लाल बहादुर शास्त्री सरकारी अस्पताल में रात को अगर आपको या आपके किसी भी परिजन को कोई तकलीफ होती तो उसको इमरजेंसी में ले जाने में बड़ी हिम्मत चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि पर्ची तो बन जाती है लेकिन वार्ड में बगल में सो रहे डॉक्टर को अगर नींद से जगा दिया तो आपकी खैर नहीं।
नींद से उठाए जाने पर डॉक्टर झल्लाते हुए एक दूसरे को इलाज करने को कहते हैं, भले ही मरीज जिंदगी और मौत की जंग क्यों न लड़ रहा हो। धरती का भगवान कहे जाने वाले इन डॉक्टरों को अपनी नींद को पूरी करने में अधिक आनंद मिलता है। यहां आने वाले पीड़ितों का कहना है कि डॉक्टरों का बर्ताव कुछ ऐसा होता है, मानो जब उनको सोने के लिए वेतन मिल ही रहा है तो क्या जरूरत है जागने और मरीजों का इलाज करने की ?
रामनगर के लाल बहादुर शास्त्री सरकारी अस्पताल के बारे में अजीबो-गरीब बातें सुनने के बार रिएलिटी चेक का समय आया। एक शख्स ने खबर हिंदी की टीम को इसके प्रमाण भी दिखाए। पीड़ित ने कहा, आज हम खुद देख लिए। जब हम लाल बहादुर शास्त्री सरकारी अस्पताल में पर्ची लेकर डॉक्टर के रूम में गए तो डॉक्टर रूम में कोई नहीं था। अब सबसे बड़ा सवाल डॉक्टर को कहां खोजें ?
इसी असमंजस में थे कि क्या किया जाए, तभी अस्पताल में कोई मिला। पता किया तो डॉक्टर रूम के बगल वाले कमरे में डॉक्टर साहब के सोने की जानकारी मिली। पीड़ित ने कई बार डॉक्टर साहब को आवाज लगाई। नींद से जागने पर उन्होंने सीधे वार्ड स्टाफ से कहा, देख लो। वार्ड स्टाफ ने नींद से जागे इस ‘धरती के भगवान’ को बताया, पांच साल का छोटा बच्चा है आप देख लीजिए।
डॉक्टर को मामले की गंभीरता समझ आई। जैसे-तैसे उठे और पर्ची में दो दवाएं लिख डालीं। हमको एक ही दवा मिली और डॉक्टर ने कहा, ये इमरजेंसी में रखे हैं जो दे रहे हैं। दवाई चेक करने पर पता लगा कि एक दवा, दो महीने बाद एक्सपायर होने वाली है।
दिलचस्प है कि डॉक्टर ने दो दवाएं लिखी जिसमें एक ही मिली। आधी रात को मेडिकल इमरजेंसी होने पर अस्पताल में डॉक्टर सोते मिले। डॉक्टर ने जब वार्ड ब्वॉय से कहा, ‘देख लो’ तो पहले वार्ड ब्वॉय ने पूछा कि कितने साल का बच्चा है ? हमने पांच साल बताया तो डॉक्टर मरीज को देखने पर सहमत हुए। फिर दवा ऐसी की एक आउट ऑफ स्टॉक। ऐसे में आधी रात को दवा कहां मिलेगी ? इसका जवाब किसी के पास नहीं। पर्ची पर दो दवाएं लिखी गईं। रजिस्टर पर क्या लिखे भगवान ही जाने ?