फोटो सेशन करवाते रहे हरियाणा सीएम, बर्बरता से पीटते- घसीटते रहे भावी डॉक्टर

रोहतक। रोहतक पीजीआई के एमबीबीएस छात्र हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ पिछले चार दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे। बीती रात पुलिस ने करीब 2 बजे प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बल पूर्वक हिरासत में ले लिया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों को आधी रात को पुलिस बर्बरता के साथ घसीटती हुई करीब सात बसों में भरकर ले गई है। यही नहीं करीब 300 छात्रों पर FIR दर्ज की गई। अपने बच्चों की कोई खबर न मिलने से अभिभावक भड़क गए और उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके बच्चे डॉक्टर बनने आये थे लेकिन हरियाणा सरकार ने उनसे ऐसे बिहेव कर रही है जैसे ये लोग डाकू हो।

आपको बता दें हरियाणा सरकार एमबीबीएस में एडमिशन के वक्त सात साल के लिए 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है। एमबीबीएस छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं। वहीँ आज पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में शनिवार को राज्यपाल बण्डारू दत्तारेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शामिल होने वाले थे। छात्रों ने देर रात दीक्षांत समारोह वाले सभागार के गेट के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने वहां पहुंचकर छात्रों को अपनी हिरासत में ले लिया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि हम सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का शांति से विरोध कर रहे थे। हम सरकार से इस पॉलिसी को रद्द करने के लिए लिखित में आश्वासन मांग रहे थे। पुलिस ने वहां पहुंचकर हमारे साथ जोर जबरदस्ती की। जब हमने वहां से उठने से मना कर दिया तो जबरन पुलिस हमें उठा ले गई।

दीक्षांत समारोह में हरियाणा CM मनोहर अपने भाषण के दौरान भी बॉंड फीस के विरोध में धरने पर बैठे छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता की सफाई दे रहे थे। उन्होंने बॉंड पॉलिसी को स्टूडेंट के हित में बताया है। सीएम ने कहा कि एमबीबीएस छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद नौकरी नहीं मिलती है तो उन्हें बॉन्ड शुल्क नहीं देना होगा। वही स्टूडेंस का कहना है कि जो पॉलिसी लेकर सरकार कह रही है उसके तहत हमे 7 साल के लिए कैदी बन कर रहना होगा। 2020 के बैच से केवल बांड भरवाए जा रहे थे लेकिन जो अब स्टूडेंट्स इतनी मेहनत से पास होकर आये हैं उन्हें एक दम से झटका दिया गया और 9 लाख 20 हजार जमा करवाने का बम फोड़ दिया गया। स्पष्ट कहा गया है कि अगर पैसे जमा नहीं करवाए तो एडमिशन कैंसिल हो जायेगा। हमे 15 दिन का समय दिया गया। यहाँ कोई मेरिट या अच्छे नंबर मेटर नहीं कर रहे। गरीब घर के बच्चे अपना सपना छोड़ देंगे, अचानक इतने पैसे कहा से आएंगे।

विद्यार्थियों ने कहा कि दूसरे प्रदेशों में फीस काफी कम है। उत्तर प्रदेश में 20-30 हजार और एम्स में 5-10 हजार है। अधिक से अधिक 50-80 हजार तक है। लेकिन सरकार ने शब्दों में जाल में फंसाकर सर्विस बांड के नाम पर 9.20 लाख रुपए और 80 हजार प्रतिवर्ष फीस मांगी है। जिससे प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए देने होंगे। जबकि दूसरे प्रदेशों में जब कोई विद्यार्थी पढ़ाई के बाद सरकारी सेवा नहीं करता तो उसे सर्विस बॉन्ड देना पड़ता है, जबकि यहां पहले ही बॉन्ड ले रहे हैं।
एक छात्रा ने कहा कि जो बच्चा 4-5 साल की मेहनत से तैयारी करके यहां तक पहुंचने वाले बच्चे को केवल पैसे के बल पर दाखिला दिया जा रहा है। जिसके कारण रैंकिंग भी गिर रही है। आज दाखिले से पहले बाँड़ा का नाम आता है। फीस जमा करवाने के लिए केवल 15 दिन का समय दिया गया है। उनके समय अंडर टेकिंग ली थी, लेकिन उसका भी फायदा नहीं हुआ।

सरकार की पॉलिसी के कारण भावी चिकित्सक पहले ही कर्ज के नीचे दब जाएंगे। तो जो शिक्षित होकर चिकित्सकीय सेवा सुधारनी चाहिए, वो फ्री माइंड से कर पाएंगे। हर समय दिमाग में कर्ज व ब्याज ही चलता रहेगा।
वहीँ अभिभावकों का कहना है कि यदि सरकार MBBS पूरी होने पर सरकारी अस्पतालों में नौकरी ना करने पर 40 लाख फीस वसूली की पॉलिसी लेकर आ रही है तो फिर उस पॉलिसी में इन छात्रों के लिए सरकारी अस्पतालों में नौकरी की गारंटी भी तो दे। अगर आपने इनको सरकारी सेवा में लगाया ही नही तो ये लोग आपकी शर्त को पूरा कैसे करेंगे? अगर ये आपकी शर्त पूरी नही कर पाए तो आप इनसे 40 लाख वसूलेंगे। कोई इनसे पूछने वाला हो कि इनकी इस प्रदेश से ऐसी क्या दुश्मनी है जो इस तरह बर्बाद कर रहे हैं?

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