नई दिल्ली
बेटियों को बचाने के लिए दिल्ली सरकार के परिवार कल्याण निदेशालय ने और अधिक सख्ती का खाका तैयार किया है। इसके तहत अल्ट्रासाउंड मशीन बनाने वाली कंपनियों, वितरकों और सर्विस सेंटरों पर शिकंजा कसा जाएगा। उनके लिए कायदे कानून तय कर दिए गए हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर सिर्फ डॉक्टरों ही नहीं, अल्ट्रासाउंड निर्माता कंपनियों, वितरकों और सर्विस सेंटरों को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। स्वास्थ्य निदेशालय ने तय कर दिया है कि दिल्ली में अल्ट्रासाउंड मशीन बनाने, बेचने और मरम्मत करने के लिए पंजीकरण जरूरी है। सरकार ने 42 अल्ट्रासाउंड निर्माता कंपनियों को पंजीकृत भी किया है। पंजीकृत कंपनियों को सरकार एक मुफ्त प्रमाण पत्र भी दे रही है। निदेशालय का कहना है कि डॉक्टर या अस्पताल सिर्फ दिल्ली के परिवार कल्याण निदेशालय में पंजीकृत कंपनियों के वितरकों से ही मशीनें खरीदेंगे। वहीं भू्रण लिंग जांच रोकने के लिए परिवार कल्याण निदेशालय ने कार्रवाई तेज की है। पिछले एक साल में पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करने की सूचना मिलने पर निदेशालय की टीम ने दिल्ली में 23 जांच सेंटरों में छापेमारी की है और छह स्टिंग ऑपरेशन किए हैं। उन सभी में कानून के उल्लंघन की बात सामने आई है।
तीन माह में देनी होगी रिपोर्ट – निदेशालय का कहना है कि कंपनियों को हर तीन महीने में रिपोर्ट देनी है। इससे पता चल पाएगा कि कितनी मशीनें, किस अस्पताल और डॉक्टर को बेची गईं। पीएनडीटी एक्ट के मुताबिक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन सिर्फ अस्पतालों में ही रखने का प्रावधान है। ताकि जरूरत पडऩे पर अस्पताल में भर्ती मरीजों की बीमारियों की जांच की जा सके। डायग्नोस्टिक लैब और डॉक्टर पोर्टेबल मशीनें नहीं रख सकते। इसलिए उन्हें पोर्टेबल मशीनें बेचना भी कानून का उल्लंघन होगा। कंपनियों से खरीद-बिक्री की रिपोर्ट के आधार पर निदेशालय इसकी जांच करा सकेगा। उल्लंघन पाए जाने पर निर्माता कंपनियों और वितरकों के लाइसेंस रद किए जाएंगे।