कैंसर की फिर डरावनी सुरत सामने आई

नई दिल्ली
स्वास्थ्य के क्षेत्र में समय-समय पर देश में सर्वेक्षण करने वाली कंपनियां इस बात से हैरान है कि पोलियो को छोडक़र तमाम गंभीर बीमारियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, साथ ही खास कारण से होने वाली गंभीर बीमारियों की वजह भी अब बदल रही है। ताजा रिपोर्ट

ग्लोबोकैन की है जिसमें सामने आया कि दुनियाभर में कैंसर के नए मामलों में इजाफा हो रहा है। भारत में 2008 में प्रकाशित हुए आंकड़ों की तुलना में 7.05 फीसदी नए मामलों में वृद्धि हुई है। भारत में बढते कैंसर के मामले चिंता का विषय है। कैंसर के मुख्यत: कारक वायु व जल प्रदूषण, कीटनाशक, जीवनशैली, डाइट, तंबाकू, शराब और पान मसाला है। दिल का दौरा पडऩे से होने वाली मृत्यु के बाद देश में कैंसर से मौत शीर्ष कारणों में से एक है।

गौरतलब है कि निदान के लिए आधुनिक तकनीकों और मैनेजमेंट के बावजूद कैंसर समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। साल में 10 लाख से ज्यादा नए मामले और 6 लाख से ज्यादा मृत्यु के आंकड़ो रिपोर्ट होने की वजह से भारत में कैंसर का बोझ सबसे ज्यादा है। भारत में 70 फीसदी कैंसर से होने वाली मृत्यु का कारण बीमारी का देरी से पता चलना है। अमेरिका में 50 फीसदी मृत्यु 70 साल की उम्र से ज्यादा लोगों की होती है जबकि भारत में 71 फीसदी मृत्यु 30 से 69 साल की उम्र में हो जाती है। अफसोसजनक बात ये कि दुनियाभर की 0.5 फीसदी औसतन की तुलना में 15 फीसदी रोगी बच्चे है।

चिकित्सकों की मानें तो कुछ लोग बीमारी को छिपाते हैं तो कुछ लोग पारंपरिक दवाइयों से खुद का इलाज करने की कोशिश करते हैं जिससे सही इलाज करने में देरी हो जाती है। कई क्षेत्रों में तो कैंसर के रोगी को छूने तक से परहेज किया जाता है और उन्हें अपने ही करीबी रिश्तेदारों द्वारा अकेला छोड़ दिया जाता है। कैंसर का पता चलने के बाद लोग सोचते है कि रोगी जल्द ही मर जाएगा लेकिन डॉक्टर के सही इलाज और परिवार के सहयोग से रोगी बेहतर जिंदगी बिता सकते है।

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