छपरा
अनुज्ञापन पदाधिकारी जिले में अवैध दवा की दुकानों या विभिन्न प्रकार की नशीली दवाओं का मिलीभगत से व्यवसाय करने वाले की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। उनके संबंध में आंकड़े एकत्र कर उन्हें कानूनी फंदे में लाने की तैयारी की जा रही है।

25 फीसदी दुकानें बिना लाइसेंस की-जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक 25 फीसदी दवा की दुकानें बिना लाइसेंस के तथा लाइसेंस के मानको को ताक पर रख कर चलायी जा रही हैं। इससे सरकारी राजस्व की क्षति के साथ-साथ विभिन्न बीमारियों से जुूझ रहे व्यक्तियों को उपयुक्त दवाएं नहीं मिलतीं. साथ ही जिले में नकली दवाओं का भी कारोबार चल रहा है।
अनुज्ञापन पदाधिकारी की मानें, तो जिले में 1650 दवा की लाइसेंसी दुकानें हैं जिनमें 450 थोक व्यवसाय करती है तथा शेष 12 सौ दुकानें खुदरा व्यवसाय करती है।
झोलाछाप चिकित्सक भी करते हैं कारोबार-जिले में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर व्यवस्था का लाभ उठा कर झोलछाप चिकित्सक अपना इलाज एवं दवा बेचने का कारोबार फैलाये हुए है, विभिन्न छोटी-मोटी दवा कंपनियों से कम प्रभाववाली दवाओं के एवज में बेहतर लाभ उठा कर मरीजों को ऐसी दवाएं बेचने एवं बेचवाने में अधिकतर झोलाछाप चिकित्सक रूचि लेते है।