पीजीआई रोहतक के 3 अनोखे डाक्टरों पर केस दर्ज

रोहतक

पीजीआई में दूसरे की जगह पर नौकरी करने के मामलेे के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। पीजीआई के अधीक्षक ने बयान पर पुलिस ने 3 डाक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों में 2 हाउस सर्जन हैं, जबकि एक एमबीबीएस छात्र है। पुलिस ने फर्जीवाड़े से संबंधित कागजात भी कब्जे में ले लिये हैं। साथ ही पीजीआई प्रबंधन ने लाइसेंस रद्द करने के लिए भी एमसीआई और अन्य मेडिकल काउंसिल में भी शिकायत कर दी है। इसी के साथ प्रबंधन ने भविष्य में इस तरह के मामले न हो इसके लिए बायोमीट्रिक हाजिरी लगवाने और उनके दस्तावेजों को  खंगालने की कवायद शुरू कर दी।

पुलिस के अनुसार हाउस सर्जन के रिकॉर्ड की जांच में सामने आया कि आईसीयू में एक जुलाई को धीरज नाम के डॉक्टर की भर्ती बतौर हाउस सर्जन की गई। डॉ. धीरज ने साक्षात्कार तो खुद दिया, लेकिन जब आईसीयू में ड्यूटी ज्वानिंग का समय आया तो उसने अपने स्थान पर हेल्थ विवि से ही एमबीबीएस कर रहे देवेंद्र प्रताप सिंह को भेज दिया। देवेंद्र प्रताप सिंह खुद अभी फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा है और उसकी एमबीबीएस भी पूरी नहीं हो पाई है। अभी उसने दिसंबर में ही थर्ड प्रूफ पार्ट-2 की परीक्षा भी दी है।

5 महीने से लगातार नौकरी कर रहे देवेंद्र प्रताप सिंह ने आईसीयू में खुद को हमेशा डॉ. धीरज ही बताया। यहां तक कि कभी काम में भी लापरवाही नहीं दिखाई, जिससे कि उसके जूनियर होने का अहसास हो सके। काम में किसी तरह की कमी न आने पर हर कोई उसे डॉ. धीरज ही समझता रहा। ऐसे में लगातार 5 महीने से यह खेल चलता रहा।

इसी तर्ज पर एमबीबीएस स्टूडेंट्स देवेंद्र प्रताप सिंह ने इसी विभाग में तैनात हाउस सर्जन डॉ. मोनिका की भी नौकरी कर डाली। बताया जाता है कि करीब डेढ़ महीने तक उसने डॉ. मोनिका की जगह पर नौकरी की। बाद में मामले का खुलासा होने पर पीजीआई प्रबंधन ने जांच करवाई तो आरोप सही पाए गये। इसके बाद पीजीआई ने देवेंद्र, मोनिका व धीरज के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा दिया।

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