सर्वोच्च न्यायाल ने नेस्ले और महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

ई दिल्ली – कुमार अनिल

तमाम सरकारी जांच-प्रयोगों के बावजूद टू मिनट मैगी नूडल्स की मुसीबत है कि कम होने का नाम नहीं ले रही। सुप्रीमकोर्ट ने मैगी पर रोक की मांग वाली भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक ब्यूरो (एफएसएसएआइ) की याचिका पर नेस्ले और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर ठोस जवाब मांगा है।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैगी की बाजार में बिक्री करने संबंधी फैसले पर मुहर लगा दी थी, लेकिन एफएसएसएआइ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। बॉम्बेहाई कोर्ट ने बिक्री पर से रोक 13 अगस्त को हटा दी थी और एफएसएसएआइ की ओर से मैगी को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस भी रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने मैगी को अपने उत्पाद की नये सिरे से जांच करा कर बिक्री की मंजूरी दे दी थी।

एफएसएसएआइ ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट मामले पर 13 जनवरी को फिर सुनवाई करेगा। एफएसएसएआइ की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है। हाई कोर्ट ने किसी तटस्थ प्राधिकार को जांच के लिए नमूने एकत्र करने का अधिकार देने क। बजाए कंपनी से ही जांच के लिए नये नमूने उपलब्ध कराने को कहा है जो कि ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि एफएसएसएआइ देश में खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता तय करती है। इसकी पहली प्राथमिकता होती है कि लोगों तक सुरक्षित खाद्य पहुंचे। हाई कोर्ट ने इन पहलुओं पर ध्यान दिए बगैर आदेश पारित कर दिया है। एफएसएसएआइ की ओर से दी गई दलीलें के बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्र एवं न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने याचिका पर नेस्ले इंडिया लिमिटेड और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट में मामले पर सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तिथि तय की है। नेस्ले को 13 जनवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है। हालांकि नेस्ले कंपनी की ओर से ट्वीट कर दावा किया गया है कि तीन लैबों में जांच में मैगी में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं पाया गया है। कंपनी ने कहा कि सेहत के लिए खतरनाक बताकर प्रतिबंधित की गई मैगी की निर्माता नेस्ले इंडिया ने प्रयोगशालाओं में भेजे गए मैगी ब्रांड इंस्टैंट नूडल्स के सभी नमूने जांच में सही पाए गए हैं। ये नमूने बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच के लिए तीन प्रयोगशालाओं में भेजे गए थे। इन परीक्षणों में खरा उतरने के बाद ही मैगी फिर से बाजार में उतरी है लेकिन फिर भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए, कंपनी सभी जांच रिपोर्ट पुन: सौपेगी।

गौरतलब है कि देश भर में बच्चों के पसंदीदा फूड में शुमार मैगी में तथाकथित रूप से अनुमति से अधिक मात्रा में सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट नामक हानिकारक तत्व मिलने की बात परसरकार ने इस पर रोक लगा दी थी।

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