GST इफेक्ट : गुजरात जाकर फार्मा कंपनियां ‘मजा मा’ !

एक देश एक टैक्स यानी जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ा व्यापारियों के आंदोलन से निशाने पर आया गुजरात अब दवा कारोबारियों के आकर्षण को लेकर चर्चा में है। दरअसल, गुजरात के खाद्य एवं औषधि नियंत्रण (एफडीसीए) विभाग के आयुक्त एचजी कोशिया का कहना है कि जीएसटी से पहले नई-पुरानी फार्मा इकाईयां स्थापित करने के लिए हर सप्ताह 10-12 आवेदन आते थे लेकिन अब 30-40 आवेदन आ रहे हैं। 13 जून और 12 सितंबर के बीच आंकड़ों पर गौर करें तो दवा विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए करीब 56 नए आवेदन आए हैं। इसके अलावा पुरानी कंपनियों ने 100-120 प्रस्ताव विस्तार के लिए दिए हैं। खासतौर से ये छोटी और मझोली इकाइयां हैं, जिनके माध्यम से करीब 650 करोड़ रुपये निवेश होने का अनुमान है।

गौरतलब है कि वर्ष 2003 में सब्सिडी योजना की घोषणा के बाद हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवा इकाइयों का जमघट लग गया। अनुमान के मुताबिक, टैक्स फायदे के चक्कर में करीब 350 दवा इकाइयों ने पहाड़ी राज्यों का रुख किया था।50 से 60 छोटी-बड़ी दवा कंपनियां गुजरात से हिमाचल, उत्तराखंड और सिक्किम चली गई थीं, जिसमें टॉरंट फार्मा, एलेंबिक फार्मा जैसी इकाईयां शामिल हैं। लेकिन पहाड़ी राज्यों में दवा कंपनियां स्थापित करने पर मिलने वाले कर(टैक्स) संबंधी प्रोत्साहन खत्म होने के बाद से फार्मा इकाईयां स्थापित करने को लेकर उत्साह में कमी देखी गई।

देश में दवाओंं के कुल उत्पादन में गुजरात की हिस्सेदारी करीब 33 प्रतिशत है। इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) का मानना है कि यह अनुपात 2020 तक 40 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। कोशिया बताते हैं कि हर सप्ताह प्रस्तावों की समीक्षा करते वक्त देखने में आया है कि नए सयंत्र लगाने और पुराने सयंत्रों के विस्तार के आवेदनों में लगातार रुझान बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने जीएसटी के दौर में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और सिक्मिम सहित उत्तर पूर्वी राज्यों में औद्योगिक इकाइयों के लिए 2027 तक बजटीय समर्थन मुहैया कराया है। यह मौजूदा इकाइयों पर लागू होगा और इसमें रिफंड की व्यवस्था है।

अनुमान है कि इससे 4,284 इकाइयों को फायदा होगा जो इन कर छूट वाले इलाकों में स्थापित हैं। जहां तक नई इकाइयां स्थापित किए जाने की बात है तो इन राज्यों में कंपीटिशन खत्म हो चुका है। अब दवा इकाइयां गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादन केंद्रों का रुख कर रही हैं। हालांकि महाराष्ट्र में गुजरात की तरह आïवेदनों में वृद्धि अभी दर्ज नहीं की गई। महाराष्ट्र एफडीए से मिली जानकारी के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद उम्मीद थी कि दवा कंपनियां महाराष्ट्र का रुख करेंगी लेकिन अभी कोई नया प्रस्ताव नहीं मिला है।

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