सफदरजंग अस्पताल का सच : 17 में दिखाओ तो 19 में भी इलाज की गारंटी नहीं

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के अधीन आने वाले राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांस्प्लांट विभाग में मरीज पहुंच तो जाते हैं लेकिन उन्हें यह गारंटी देने वाला कोई नहीं कि उसका इलाज कब और कौन-से वर्ष में होगा। किडनी में पथरी का इलाज करवाने आए एक रोगी का ओपीडी कार्ड देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है। जुलाई 2017 में आए इस रोगी को उम्मीद थी कि सफदरजंग अस्पताल में उसका ‘संकट’ कट जाएगा लेकिन उसे यह कहकर चलता कर दिया कि जाओ नवंबर 2019 में आना, फिर कोशिश करेंगे। तारीख के ऊपर यूरोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार की मुहर और हस्ताक्षर चस्पा हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से सफदरजंग आए डॉ. अनूप की निगरानी में चल रहे यूरोलॉजी विभाग में यह पीड़ा अकेले इस मरीज की नहीं है। सूत्रों की मानें तो पथरी के पथरीले दर्द को सहते हुए यहां आने वाले बहुत से मरीजों की उम्मीदें यूं टूटना साधारण बात है। पता तो यहां तक चला है कि कई मरीजों को 5 साल बाद की ऑपरेशन तारीख दे दी जाती है। हालांकि अभी इसके पुख्ता सबूत नहीं है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके राय से जब इन हालातों पर बात की तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में पथरी रोगियों के लिए अभी एक ही टेबल है, जिस कारण मरीजों के ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही है। नए ब्लॉक तैयार हो रहे हैं। नियुक्तियां भी हो रही है। उम्मीद है, अगले छह महीने तक व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। जब उनसे यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सकों और कुछ कर्मचारियों द्वारा मरीजों रूखा व्यवहार करने और इलाज में मनमानी करने की शिकायत पर जवाब मांगा तो डॉ. राय बोले कि कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी गलत मंशा से काम नहीं करता। रोगी और तीमारदारों की भीड़ बढऩे से कई दफा माहौल गर्म हो जाता होगा। यदि किसी मरीज के साथ गलत होने की शिकायत आती है तो एक्शन जरूर लिया जाएगा।

विशेषज्ञों की मानें तो किडनी में पथरी रोगी के लिए ऑपरेशन की इतनी लंबी तारीख जान-जोखिम का कारण बन सकती है। हालांकि ये सब बहुत हद तक पथरी के आकार पर भी निर्भर करता है। वैसे इतने बड़े अस्पताल में यदि रोगियों को इलाज के अभाव में मायूस लौटना पड़ेगा तो दूसरे छोटे अस्पतालों का तो फिर भगवान ही मालिक है।

उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा दावा करते नहीं थकते कि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत ने बहुत तरक्की की है। चिकित्सा क्षेत्र के मामले में भारत विकसित देशों की श्रेणी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नड्डा ने तो यहां तक कह दिया कि 2025 तक आम आदमी को गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज में पलभर की देरी नहीं होगी। सस्ता और बेहतर इलाज देने में हम अमेरिका जैसा माहौल बना देेंगे।

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