मेडिकल किट सप्लाई में फर्जीवाड़ा

लखनऊ। आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेडिसिन किट सप्लाई करने वाली कंपनियों का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने मामला संज्ञान में आने पर संबंधित कंपनियों का टेंडर कैंसिल कर दिया है। अब नया टेंडर निकालने का प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। नए प्रस्ताव में उन्हीं फर्मों को टेंडर देने की बात कही गई है जो दवाओं का निर्माण भी करती हों।

गौरतलब है कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेडिसिन किट और प्री-स्कूल किट उपलब्ध करवाने के लिए मेसर्स विनिश्मा टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स मनीषा पैकेज के साथ करार किया गया था। मई 2017 में गाजियाबाद जिले के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र, अपर आयुक्त वाणिज्य कर और मुख्य कोषाधिकारी एवं औषधि निरीक्षक ने मिलकर दोनों कंपनियों की जांच की। जब टीम विनिश्मा टेक्नोलॉजी के पते पर पहुंची तो स्टोर बेहद गंदा और जर्जर टिन शेड वाला मिला। जबकि मानकों के अनुसार पक्का भवन, साफ स्टोर और तापमान नियंत्रित करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा यहां एक्सपायर्ड दवाएं भी पाई गई। यही नहीं, फर्म संचालक सुधीर अग्रवाल से बिल बुक, ड्रग लाइसेंस की कॉपी, ऑथराइज्ड डीलर से दवाएं लेने के अभिलेख और दवा क्षेत्र में कंपनी के काम करने का अनुभव भी जांच टीम को नहीं मिला। यही हाल दूसरी कंपनी मनीषा पैकेज का भी था। टीम ने इसकी मालिक मनीषा अग्रवाल से बात की तो कुछ अभिलेख दिखाए गए। दोनों फर्मों की रिपोर्ट शासन तक पहुंची तो इनके टेंडर कैंसिल कर दिए गए। इस महीने नए मानकों पर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की सचिव अनीता सी़ मेश्राम ने बताया कि दोनों फर्मांे को कोई भुगतान नहीं किया गया था और न ही वर्क ऑर्डर जारी किया गया था। इस कारण टेंडर कैंसिल कर दिया गया है। अब दोबारा टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि अब तक मेडिसिन किट सप्लाई करने के लिए सप्लायर होने की ही शर्त थी। अब केवल उन्हीं फर्मों को जिम्मा दिया जाएगा जो दवाइयां भी बनाती हों।

Advertisement