खाली हाथ लौटी आईएमए

नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की बैठक बेनतीजा रही। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर के अनुरोध पर हुई इस तीन घंटे की मुलाकात में मेडिकल शिक्षा तथा पेशे को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया। नड्डा ने एनएमसी विधेयक 2017 पर कोई चर्चा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह विधेयक अभी लोकसभा में है।

डॉ. वानखेडकर ने कहा कि आईएमए संसद में एनएमसी विधेयक की गतिविधियों पर गंभीरता से नजर रखेगा। जैसाकि महापंचायत में तय हुआ था कि यदि लोकसभा ने एनएमसी विधेयक चिकित्सा जगत पर जबरन थोपा तो आईएमए तत्काल प्रभाव से देशभर में सभी आधुनिक चिकित्सा से जुड़े डॉक्टरों की सेवाएं वापस ले लेगी।

केंद्रीय मंत्री ने अपने अधिकारियों के सहयोग से आईएमए की कई अन्य मांगों पर चर्चा की जो पिछले ढाई वर्षों से मंत्रालय में लंबित है। इनमें पीसीपीएनडीटी अधिनियम में संशोधन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में मुआवजे की सीमा, क्लिनिक प्रतिष्ठान अधिनियम में अस्पताल के खिलाफ हिंसा का केंद्रीय कानून और इसमें संशोधन जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

आईएमए अध्यक्ष ने सरकार को बताया कि एनएमसी विधेयक 2017 का मौजूदा स्वरूप अस्वीकार्य है और यदि इसमें जरूरी बदलाव नहीं किए गए तो आईएमए को सीधी कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से निजी मेडिकल कॉलेजों की 85 फीसदी सीटों के लिए शुल्क निर्धारित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि निजी प्रबंधनों में मौजूदा 50 फीसदी कोटे का प्रावधान लागू हो जाता है तो निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को चिकित्सा की पढ़ाई से वंचित रहना पड़ जाएगा। यह वार्ता बेनतीजा रही लेकिन इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया गया।

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