जांच में नकली मिली एंटीबायोटिक्स 

मुरादाबाद। प्रसिद्ध दवा निर्माता कंपनी डीके फार्मा की एंटीबायोटिक दवा का सैंपल स्टेट लैब जांच में फेल मिला है। जांच में पता चला कि सिप्रोफ्लोक्सासिन की टेबलेट में पांच सौ मिलीग्राम के स्थान पर मात्र ढाई एमजी (2. 63 एमजी) दवा (बेस साल्ट) मिली है। कंपनी के खिलाफ नकली दवा का निर्माण करने की रिपोर्ट दर्ज कर दी गई है। गौरतलब है कि स्थानीय प्रिंस रोड स्थित डीके फार्मा की दवा मानकों के अनुसार नहीं मिलने पर दवा का निर्माण बंद करा दिया गया था। कंपनी की दवा की बाजार में काफी मांग थी। ऐसे में कंपनी मालिक ने चालाकी दिखाते हुए बंद कंपनी में चुपचाप दवा का निर्माण शुरू कर दिया।
अधिकारियों ने बंद कंपनी में दवा बनाते समय छापामारी की और दवाओं के पांच सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे। हालांकि, जांच टीम को कंपनी में दवा बनाने का बेस साल्ट नहीं मिल पाया था। इनमें से एक सैंपल की रिपोर्ट अफसरों को मिल गई है। डीके फार्मा टेबलेट कंपनी की कई राज्यों में बिकने वाली एंटीबायोटिक्स सिप्रोफ्लोक्सासिन स्टेट लैब की रिपोर्ट में फेल मिली है। यह टेबलेट सिप्रोफ्लोक्स पांच सौ एमजी की टेबलेट में मात्र ढाई एमजी साल्ट पाया गया है। यानी बिना साल्ट मिलाए ही एंटीबायोटिक्स बनाई जा रही थी। कंपनी में काम करते मिले फार्मासिस्ट के हवाले से बताया गया है कि दवा बनाने के लिए साल्ट का बिल्कुल प्रयोग नहीं किया जा रहा था। कुछ कंपनियों की एक्सपायर दवा को इसमें मिलाया जाता था, जिससे यह ढाई एमजी साल्ट मिला है। दवा कंपनी और मालिक के खिलाफ पहले से ही रिपोर्ट दर्ज है।  इस संबंध में कंपनी के मालिक राकेश कुमार ढल ने अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया।
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