पंजाब से हरियाणा आ रहे फर्जी फार्मासिस्ट

कंपाउंडर

अम्बाला। हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल में अक्टूबर 2017 से कई फार्मासिस्टों की आवेदन पत्रिकाएं इस आशय से पड़ी हैं कि उन्हें शीघ्र ही हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल द्वारा डिप्लोमा इन फार्मेसी, बैचलर इन फार्मेसी के रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र मिल जाएंगे। तत्कालीन चेयरमैन के बाद वर्तमान में काउंसिल प्रत्येक कदम फार्मासिस्टों के हित में एवं पारदर्शिता को ध्यान में रखकर कर रही है ताकि कोई भी अवैध फार्मासिस्ट गलती से भी स्वयं को हरियाणा स्टेट फार्मेसी कौंसिल के कार्यालय से अपना रजिस्ट्रेशन ना करवा सके। इसके चलते कार्यालय के कर्मी चेयरमैन, रजिस्ट्रार, काउंसिल के प्रत्येक सदस्य चौकन्ने होकर कौंसिल के कार्य करने में लगे हैं ताकि राज्य का कोई भी फार्मासिस्ट काउंसिल की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान ना लगा पाए तथा सहूलियत के नाम पर फार्मासिस्ट को ना तो काउंसिल के बार बार चक्कर काटने पड़े। इसके अलावा बिचौलियों के चंगुल में पडक़र स्वयं का समय और पैसा बर्बाद न करें। जब काउंसिल कार्यालय में काम पारदर्शिता के साथ-साथ शीघ्रता से हो रहे हो तो बिचौलियों का अस्तित्व स्वत: ही समाप्त हो जाता है और फार्मासिस्टों को काउंसिल संबंधित कार्यों को करने व करवाने में कोई कठिनाई नहीं आती।

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2017 से अब तक करीब 100 फार्मासिस्टों के आवेदन इस आशय से मिले कि शीघ्र रजिस्ट्रेशन हो जाएगी परंतु प्रथम दृष्टया ही यह आवेदक पंजाब से नॉन अटेंडेंस के माध्यम से डिप्लोमा इन फार्मेसी बैचलर इन फार्मेसी में स्वयं को रजिस्टर्ड करवाना चाहते हैं जबकि संस्थान द्वारा इन्हें नियमित विद्यार्थी का दर्जा दे प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। कुछ फार्मासिस्टों को जब यूं ही पूछ लिया कि कौन-कौन से सब्जेक्ट पढ़ें तो वह सही उत्तर नहीं दे पाए। ऐसे में शंका और गहरी होती गई। तीव्र गति से इन रजिस्ट्रेशन आवेदनों पर सही मार्गदर्शन के लिए फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया को भी लिखा गया कि आवेदन प्रथम दृष्टया ही अवैध लग रहे हैं। इन पर उचित मार्गदर्शन दें ताकि इन आवेदकों को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दे दिए जाएं या उन्हें उनके आवेदन रद्द करके सूचित किया जाए कि आपके आवेदन फर्जी हैं ।

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