आदेशों को ठेंगा दिखा रहे थोक दवा व्यापारी

अम्बाला। राज्य में थोक दवा व्यवसाई सीधे मरीजों को थोक रेट पर दवाएं बेचते हैं जिससे औषधि एवं प्रसाधन नियमों की उल्लंघना होती है। वहीं रिटेलरों के व्यवसाय पर भी चोट लगती है। ये जानकारी जिला स्तर पर कई दवा व्यवसाइयों ने कई जिलों में दी।
एक मौका ऐसा आया कि हरियाणा राज्य औषधि नियंत्रक का मेल मात्र रिटेलरों के प्रतिनिधिमंडल से हो गया। रिटेलरों ने अपना दुखड़ा रोया। औषधि नियंत्रक भोचक्के रह गए कि राज्यभर के अधिकतर जिला मुख्यालयों पर जानकारी है पर उन तक क्यों नहीं पहुंची। ऐसे में मौके पर मौजूद रिटेलरों को एसडीसी ने आश्वस्त किया कि निकटस्थ कार्यदिवस पर प्राथमिकता से इस समस्या का निराकरण कर देंगे। उन्होंने बताया कि राज्यभर के अधिकारियों को इस समस्या के समाधान के लिए सार्थक परिणाम वाली कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
रिटेलरों ने एसडीसी की बातों से आश्वस्त लगे कि अब उन्हें जिले में ही नहीं, राज्य भर में थोक दवा व्यवसाई रिटेल नहीं कर पाएंगे। प्रशासन चौकन्ना हो गया है। एसडीसी ने राज्यभर में आदेश भेज भी दिए परन्तु करीब 3 माह बीत जाने के बाद भी राज्यभर में हालात जस के तस हैं। पूरे राज्य की रिटेल लॉबी हैरत में है कि या तो राज्य औषधि नियंत्रक ने जिला स्तर तक इस कुप्रथा समाप्त करने हेतु कहा ही नहीं या उनके आदेशों को दरकिनार कर दिया है। ताकि रिटेलर कुछ दिनों में भूल जाएंगे या कार्यालय के अत्यधिक कार्यभार ने इस ओर काम ही नही करने दिया। कारण भले ही कुछ भी हो, राज्यभर के रिटेलर मन मे टीस लिए बैठे हैं कि जब एस. डी. सी. (राज्य औषधि नियंत्रक ) के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा सकता है तो उनकी क्या अहमियत है। क्या राज्य औषधि नियंत्रक इस बारे कोई परिणाम दायक कदम उठाकर रिटेल दवा व्यवसाइयों के भविष्य को सुरक्षित करने में अनुकरणीय योगदान दिलवा सकेंगे या रिटेलरों की वेदना को दफना दिया जाएगा ? यह भविष्य के गर्भ में है।
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