हे स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज देखिए, पीजीआई पहुंचे रामबालक का इलाज ‘राम भरोसे’

चंडीगढ़: पीजीआई रोहतक को स्वास्थ्य का आदर्श बनाने में जुटे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज यहां की व्यवस्था और डॉक्टरों की पीठ थपथपाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही और अव्यवस्था से कराह रहे मरीजों की आह उनके कानों तक पता नहीं, क्यों नहीं सुनाई पड़ रही। या यूं कहें कि  पीजीआई प्रबंधन उन्हें इधर-उधर देखने ही नहीं दे रहा, क्योंकि पिछले दिनों पीजीआई में स्थापना दिवस के मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री को ऐसे अचूक सुरक्षा घेरे में प्रबंधन ने कैद कर रखा था, कि मजाल कोई मरीज या आम आदमी अपना दर्द लेकर उन तक पहुंच पाए, (हकीकत बयां करती कुछ तस्वीरे मौजूद हैं)।
खैर,चलते-फिरते नौजवान शेष नारायण को अपाहिज बनाने वाले पीजीआई की फिर लापरवाही सामने आई है। कुछ दिन पहले जींद से पैर का दर्द लेकर पीजीआई उपचार के लिए पहुंचे आर्थिक रूप से बेहद कमजोर रामबालक नामक 32 वर्षीय व्यक्ति को न केवल चिकित्सकों ने सारी दवाईयां बाहर से लाने को विवश कर दिया बल्कि उसकी जांच के लिए लिखे गए अल्ट्रासाउंड पर एक साल बाद का समय मुकर्रर किया। जब उसने चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों को दर्द की इंतेहा बताई तो भी उसे निराशा ही हाथ लगी। पैर के दर्द और पीजीआई की अव्यवस्था से हुई पीड़ा को साथ लेकर लडख़ड़ाता रामबालक तो अपने घर चला गया, लेकिन पीछे छोड़ गया ढेर सारे सवाल, जिनका जवाब जमीनी नेता और पीजीआई की पीठ थपथपाने में जुटे स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को प्रबंधन से जरूर मांगना चाहिए।
रामबालक जींद में चाय का खोखा चलाता है और इस काम से होने वाली निम्न आय से ही उसके परिवार का पालन-पोषण होता है। रामबालक ने मेडीकेयर संवाददात को बताया कि उम्मीद के साथ वह पीजीआई इसलिए आया था, क्योंकि उसने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को कहते हुए सुना था कि पीजीआई में गरीब रोगी की जांच, दवा खर्च पूरी तरह निशुल्क  उपलब्ध है, और वह भी तत्काल, लेकिन यहां आकर…मुफ्त इलाज तो नहीं मिला, लेकिन धक्के जरूर निशुल्क  मिले। उसके कार्ड का ओपीडी नंबर 71654 है। एक साल बाद की तारीख दर्ज अल्ट्रासाउंड जांच की पर्ची डॉ. अमित कुमार के हस्ताक्षर सहित दर्ज है। जिसमें, 18-7-2017 तारीख, सुबह 8 बजे का समय दर्ज है।
मेडीकेयर ने इस बाबत पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक चौहान को दो-तीन दफा फोन किया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके। राज्य की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. कमला सिंह से जब इस बाबत पूछा तो उन्होंने दूसरे विभाग की जिम्मेदारी कहकर बात खत्म कर दी। पीजीआई हेल्थ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. एच.के. अग्रवाल फोन पर उपलब्ध हुए। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक या निदेशक से बात करने की सलाह दी।
इस सब के बीच फिलहाल रामबालक का उपचार राम भरोसे चल रहा है।
हां, मंत्री अनिल अनिज से उसे अब भी आशा है।
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