सरकारी डॉक्टर कर रहे गर्भावस्था का इलाज-पेट में निकला ट्यूमर

नई दिल्ली: देवरिया जिले में डॉक्टरों की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का स्पष्ट सबूत सामने आया है। यहां महिला को गर्भवती बता कर उसका पांच महीने तक इलाज किया गया, लेकिन विवाहिता के पेट में ट्यूमर निकला। अब पीडि़त परिवार लापवाही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाई चाहता है ताकि लापरवाह चिकित्सक किसी अन्य मरीज के जान के साथ खिलवाड़ न कर सके। हालांकि इस मामले में न्याय की उम्मीद कम ही नजर आ रही है, क्योंकि लापरवाही पर कार्रवाई की बजाय लीपापोती करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
लार सीएचसी में सरैया गांव के रहने वाले विरेंद्र यादव की पत्नी को 27 दिसंबर 2015 को पेट में दर्द हुआ तो गांव की आशा वर्कर को दिखाया। जहां उसे गर्भवती बताया गया और उसका मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड बना दिया गया। पांच महीने तक चिकित्सक और आशा वर्कर उसे गर्भवती बता कर इलाज करते रहे। लेकिन जब महिला को अराम नही मिला तो पीडि़त परिवार लार सीएचसी पहुंच गया जहां महिला रोग विशेषज्ञ इनायत हुसैन को दिखाया गया और यहां भी महिला को गर्भवती बताकर इलाज चला दिया। कुछ दिनों बाद जब महीला की पीड़ा असहनीय होने लगी तो सरकारी चिकित्सक ने बाहर की दवा लिख दी और अल्ट्रासाऊंड कराने को कहा। रिपोर्ट के बाद पता चला कि वह गर्भवती थी ही नहीं, उसके  पेट में ट्यूमर है।
दूसरी ओर, सीएमओ डीके सिंह का कहना है कि पीडि़त महिला कभी भी लार सीएचसी पर नहीं गई और आरोप निराधार है। लेकिन इस पूरे प्रकरण के लिए एक जांच केमेटी गठित कर दी गई है जो देवरिया स्वास्थ विभाग को रिपोर्ट सौंपेगा।  पीडि़त परिवार ने सीएम और जिला प्राशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
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