दवा कीमतों को लेकर सरकार लेगी बड़ा फैसला!

नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की महंगाई से भले ही अभी राहत न मिल रही हो, लेकिन दवाओं की कीमत से राहत जरूर मिल सकती है, क्योंकि अब महंगाई के बढ़ने और घटने के साथ दवा की कीमतें तय हो सकती हैं। इसके लिए नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि दवाओं की कीमत को थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई से जोड़ा जाए। फिलहाल दवा कंपनियां सालाना दाम बढ़ाती हैं।
दवाओं की कीमत को थोक मूल्य सूचकांक से जोड़ने के लिए ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 को बदला जाएगा। इससे फार्मा इंडस्ट्री को झटका लग सकता है। अभी सिर्फ जरूरी दवाएं डब्ल्यूपीआई से जुड़ी हैं। प्रस्ताव मंजूर होने पर सभी मेडिसिन डब्ल्यूपीआई जुड़ेंगी। इससे कंपनियों को दवाओं की कीमत घटानी भी पड़ सकती हैं। फार्मा प्रोडक्ट के लिए अलग सूचकांक बनाने की भी सिफारिश की गई है। इस पर नीति आयोग और फार्मा मंत्रालय में सहमति है। बता दें कि अभी 850 दवाओं की कीमत पर सरकारी नियंत्रण है। दवा कंपनियों को सालाना 10 फीसदी दाम बढ़ाने की इजाजत है।
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