एक कमरे में जांच लैब मान्य नहीं

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पैथोलॉजी को लेकर चल रहे गोरखधंधे पर रोक लगाने की कवायद शुरू कर दी है। मंत्रालय ने 17 राज्यों में पैथोलॉजी को लेकर बनाए नए कानूनों को तत्काल लागू कर दिया है। जबकि अन्य राज्य सरकारों से भी इस पर अमल करने की अपील की है। इन नए कानूनों के तहत अब पैथोलॉजी लैब खोलने के लिए तमाम मानकों को पूरा करना पड़ेगा। आश्चर्य है कि अभी तक देश में पैथोलॉजी को लेकर कोई ठोस कानून नहीं था। लेकिन हाल ही में मंत्रालय की एक टीम ने इसे तैयार कर क्लीनिकल एस्टेबिलस्मेंट एक्ट वाले राज्यों में लागू कर दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ समय से विभिन्न राज्यों में पैथोलॉजी को लेकर चौंकान्ने वाली घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
कुछ समय पहले दिल्ली में भी इस तरह के एक रैकेट का पुलिस ने खुलासा किया था। यही वजह है कि अब इन नियमों को सख्ती से लागू कराने का वक्त है। अधिकारी ने बताया कि क्लीनिकल एस्टेबिलस्मेंट एक्ट के तहत इन नियमों को रखा है, जिसमें सभी पैथोलॉजी को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। इसके अलावा लैब में एक बोर्ड भी डिस्पले करना होगा, जिसमें एमबीबीएस डॉक्टर और लैब में काम करने वालों की योग्यता लिखी होगी। अभी तक एक ही पैथोलॉजी लैब में हर तरह की जांच होती थी। ब्लड प्रोफाइल से लेकर टिश्यू तक सभी तरह की जांच करके मरीजों से काफी फीस भी ली जाती थी। सरकर ने अब लाइसेंस लेते वक्त ही इसे फिक्स कर दिया है। तीन वर्गों में इसे बांटते हुए बेसिक, मीडियम और एडवांस स्टेज में सभी प्रकार की जांचों को रखा है। जांच केंद्र को हर तरह की जांच करने की इजाजत नहीं होगी। रजिस्ट्रेशन कैटेगरी के हिसाब से गाइडलाइन भी तय की गई है।
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