फेल मिली अस्पतालों में आने वाली ‘मुफ्त दवा’

जयपुर। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली दवाइयां जांच में अमानक पाई जा रही हैं। कोटा में डायबिटीज की दवा पानी में नहीं घुलने पर यह मामला सामने आया। मुफ्त बांटी जा रही इन दवाओं की गुणवत्ता को परखा गया गया तो बुखार की पैरासीटामोल, एंटीबायोटिक अमीकासिन इंजेक्शन, निसंतानता के इलाज की क्लोमीफीन टैबलेट, हीमोफीलिया की फेक्टर-8, लकवा की निओस्टीग्माइन, ओआरएस पाउडर, कैल्शियम एवं विटामिन की कमी को पूरा करने वाला कैल्शियम एंड विटामिन-डी व पेट साफ करने की लिक्विड पैराफीन जैसी दवाएं जांच में फेल मिलीं।
दवाओं के अलावा सर्जिकल स्प्रिट व पाउडर वाले मेडिकल ग्लब्ज भी अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दवा कंपनियां बड़े-बड़े दावे कर मरीजों के जीवन को खतरे में डाल रही हंै। डॉक्टरों के अनुसार एंटीबायोटिक अमीकासीन इंजेक्शन व निसंतानता इलाज की क्लोमीफीन दवाएं जीवनरक्षक मानी जाती हैं। जांच में लगातार अमानक मिलने से न केवल राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) के क्वालिटी विभाग बल्कि क्वालिटी से जुड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिंह लग गया है। उल्लेखनीय है कि अब तक 1700 से ज्यादा दवाओं के सैंपल अमानक मिल चुके हैं।
फार्मा एक्सपर्ट वी.एन.वर्मा व देवेन्द्र चाहर के अनुसार मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत टेंडर में शामिल होने वाली कंपनियों का अधिकारी मौके पर जाकर निरीक्षण करें। कंपनी की दवा लेने से पहले निर्माण यूनिट, काम करने वाला स्टाफ, क्वालिटी, लेबलिंग व पैकेजिंग का बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए। उधर, आरएमएससीएल  के प्रबंध निदेशक महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि लैब जांच में दवा के सैंपल की रिपोर्ट नहीं आने तक स्टोर में पड़ा रहता है। पास होने पर ही आगे सप्लाई की जाती है। फेल होने पर माल रोक लिया जाता है। क्वालिटी को बेहतर बनाए रखने के लिए हमने पॉलिसी बना रखी है। नमूनों के फेल होने के हिसाब से कंपनी को डीबार किया जाता है। लैब जांच में जो दवाएं फेल मिली हैं उनमें पैरासीटामोल टैबलेट,अमीकासिन इंजेक्शन, कैल्शियम एंड विटामिन-डी -3, क्लोमीफीन टेबलेट, एनोनडिटा हैल्थकेयर, निओस्टीग्माइन इंजेक्शन, सर्जिकल स्प्रिट आदि शामिल हैं।
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