250 से ज्यादा अस्पतालों को थमाए कारण बताओ नोटिस

अस्पताल
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यमुनानगर। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिला करनाल के 110 व यमुनानगर के 140 से अधिक अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ये नोटिस सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में लिक्विड वेस्ट को रोकने के लिए एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) नहीं होने पर थमाए गए है। हालांकि, ईटीपी को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट और सख्त गाइडलाइन बनाई है। इसके बावजूद आधा दर्जन प्राइवेट अस्पतालों में ही ईटीपी लगाया गया है। अस्पतालों का लिक्विड वेस्ट बिना ट्रीट हुए ही सीवरेज में जा रहा है। यही पानी नालों से होता हुआ सीधे पश्चिमी यमुना नहर में जाता है, जिसका सीधा असर इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। गौरतलब है कि पहले ईटीपी उन्हीं अस्पतालों में लगाना अनिवार्य था जो 100 बैड के थे, लेकिन सरकार ने बायो मेडिकल वेस्ट रूल 2016 में संशोधन कर इसे फिर से लागू किया गया। ईटीपी लगाना हर अस्पताल के लिए अनिवार्य कर दिया गया। सरकार ने अस्पतालों में ईटीपी लगाना तो जरूरी कर दिया लेकिन आज तक एक भी सरकारी अस्पताल में ईटीपी नहीं लगवा पाई। जबकि सरकारी अस्पताल में टीबी, दमा, कैंसर, शुगर, इंफेक्शन समेत हर तरह के मरीज जाते हैं।

सरकारी अस्पताल यमुनानगर में ही हर रोज एक हजार से ज्यादा मरीजों की ओपीडी होती है। जबकि दर्जनों लोगों के आप्रेशन भी होते हैं। अस्पताल में बनी दो लैब में सैकड़ों लोगों के सैंपल लेकर उनकी जांच की जाती है। इसके बावजूद यहां पर आज तक ईटीपी नहीं लगाया जा सका। इस तरह सरकारी अस्पतालों का लिक्विड मेडिकल वेस्ट भी बिना ट्रीट हुए सीवरेज में जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास कुल 149 अस्पताल रजिस्टर्ड हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राङ्क्षजद्र शर्मा ने बताया कि करनाल व यमुनानगर के अस्पतालों को ईटीपी नहीं लगाने के कारण नोटिस जारी किया है। यमुनानगर में केवल छह-सात प्राइवेट अस्पतालों में ही ईटीपी लगा है। बायो मेडिकल वेस्ट रूल 2016 के मुताबिक चाहे एक बैड का अस्पताल हो वहां ईटीपी लगाना जरूरी है। कार्यवाहक सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया का कहना है कि सरकारी अस्पताल में ईटीपी लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रपोजल भेजा हुआ है। इस पर 15 से 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। मंजूरी मिलते ही इसका काम शुरू कर देंगे।

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