प्रत्येक नागरिक की शारीरिक-आर्थिक स्वस्थता से ही सार्थक होंगे आजादी के सही मायने: प्रेमरोज सूरी

भारत आजादी की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन देश चलाने वाले इस सोने की चिडिय़ा के पंख कुतर रहे हैं। कर्मचारी विरोधी नीतियां, संस्थानों में भ्रष्टाचार देश की एकता-अखंडता और विकास के सपने को तोड़ रहा है। किसी भी देश में जब स्वास्थ्य और शिक्षा का ढांचा मजबूत नहीं होगा, वह विकास के पूर्ण अर्थ को हासिल नहीं कर सकता। भारत इन दोनों क्षेत्रों में गरीब हो रहा है। ऐसा नहीं कि यहां काबिलियत नहीं है, योग्य और काबिल लोगों की भरमार है, लेकिन उन्हें वह मान-सम्मान नहीं मिलता, जिसके वे हकदार है। बात स्वास्थ्य क्षेत्र की करते हैं। विदेशों में डॉक्टरी पेशा हो या नर्से, भारतीयों की लंबी सूची मिलगी। यहां पढ़ाई करने वाले अपने हुनर का शत-प्रतिशत देना चाहते हैं, लेकिन काम करने का अनुकूल माहौल और उचित औजार नहीं मिलने से, विदेशों का रुख करते हैं। नर्सिंग क्षेत्र की बात करूं तो देश में बेहद दयनीय दौर से गुजर रहा है ये पवित्र पेशा। दिन-रात मरीजों की तीमारदारी में जीवन गुजारने वाली नर्सों के लिए सरकारें नीति बनाते वक्त बेहद उदासीन और निंदनीय रवैया अपनाती है। जिस कारण यहां नर्सिंग में डिप्लोमा/डिग्री लेकर योग्य युवापीढ़ी सेवा दूसरे देशों को दे रही हैं। जो चिंता की बात है। सरकारें इस पर गंभीरता से सोचे। एक तरफ विश्व हेल्थ फॉर ऑल का लक्ष्य पाना चाहता है और वहीं भारत में गुड हेल्थ इज ए जस्टिकेबल फंडामेंटल राइट्स बनने जा रहा है। लेकिन आउटसोर्स का डंक गुड हेल्थ गवर्नेंस को डस रहा है। सरकार इस डंक को कुंद करने की बजाय और पैना कर रही है। आउटसोर्स कामकाजी व्यवस्था में सीधे तौर पर मानव शोषण है।

ताजा उदाहरण केंद्र सरकार के अधीन देश के सबसे बड़े सफदरजंग अस्पताल में खुलने जा रहे 500 बैड के आपताकालीन ब्लॉक और 850 बैड के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक का ही ले लीजिए। यहां नर्सों की भर्ती में आउटसोर्स प्रक्रिया अमल में लाने का निर्णय सरकार ले चुकी है। ध्यान देने वाली बात ये कि कम पैसों में केवल वही नर्से भर्ती होंगी, जो शिक्षा के नाम पर दुकान चलाने वाले ठेकेदारो के संस्थानों से डिप्लोमा/डिग्री लेकर निकलेंगी। सरकार के इस फैसले से नागरिकों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा। पहले सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में संविदात्मक कर्मचारियों का रास्ता अपनाया। अब उससे भी निचले स्तर का आउटसोर्स नीति लागू को बढ़ावा दिया जा रहा है। जब देश का हर नागरिक शारीरिक और आर्थिक रूप से स्वस्थ होगा, तब सही मायनों में आजादी सार्थक होगी।
 लेखिका- ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन, दिल्ली की अध्यक्ष हैं
और सफदरजंग अस्पताल में सीनियर नर्स हैं। 
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