हाईकोेर्ट ने हटाया दवा से बैन

कटिहार। हाईकोर्ट ने लिवोफ्लोक्सासीन एवं ओफ्लोक्सासीन दवा के उत्पादन, भंडारण एवं बिक्री पर राज्य औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा लगाई रोक को हटा दिया है। बच्चों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस दवा के बैन होने संबंधी सरकारी गजट प्रकाशित नहीं होने को आधार मानते हुए अदालत ने यह निर्णय दिया है। गौरतलब है कि औषधि निरीक्षक विकास शिरोमणि ने यह दवा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक बताते हुए राज्य औषधि नियंत्रक को रिपोर्ट सौंपी थी।
रिपोर्ट के आधार पर ड्रग कंट्रोलर ने सभी सहायक औषधि नियंत्रक एवं औषधि निरीक्षकों को बीते वर्ष सितंबर में निर्देश जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से उक्त दवा के बिक्री, भंडारण एवं वितरण पर रोक लगाने का आदेश दिया था। मुख्यालय स्तर से निर्देश जारी होने के दवा दुकानदारों को उक्त दवा कि बिक्री करने पर ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत कार्रवाई किए जाने की बात कही थी, लेकिन बाजारों में यह दवा धड़ल्ले से बेची जा रही थी। एक दवा कंपनी ने औषधि नियंत्रक के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट दायर की।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एवं राज्य औषधि नियंत्रक को इस मामले में प्रतिवादी बताया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रतिबंध संबंधी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी दवा या कॉस्मेटिक उत्पाद के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने, मानक के अनुरूप एवं गुणवत्तापूर्ण नहीं होने की स्थिति में प्रतिबंधित किए जाने के लिए राज्य सरकार के गजट में अंकित किया जाना जरूरी है। बिना गजट औषधि नियंत्रक के निर्देश को कोर्ट ने नियम के विपरीत ठहराया है।
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