वॉशिंगटन। गर्भपात की दवा मिफेप्रिस्टोन को प्रतिबंधित करने की मांग को खारिज कर दिया गया है। यह फैसला वॉशिंगटन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। वहीं गर्भपात का विरोध करने वाले समूह और डॉक्टरों को इस फैसले से मायूसी हाथ लगी है।

निचली अदालत के फैसले को पलटा

अदालत ने गर्भपात की गोली मिफेप्रिस्टोन को सीमित करने से इनकार कर दिया। इस पर निचली अदालतों ने रोक लगा दी थी। निचली अदालतों के फैसलों पर रोक लगाने के फैसले से दवा की उपलब्धता गंभीर रूप से प्रतिबंधित हो जाती। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस दवा की पहुंच को सीमित करने के फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि इस दवा का इस्तेमाल देश में आधे से अधिक गर्भपात के मामलों में किया जाता है।

क्या है मिफेप्रिस्टोन?

अमेरिका में मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टॉल नाम की गोलियों का इस्तेमाल गर्भ गिराने के लिए होता है। इन गोलियों के सेवन को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मान्यता दे रखी है। इन गोलियों का इस्तेमाल गर्भ ठहरने के पहले 10 हफ्तों के अंदर किया जाता है।

इन गोलियों की ऑनलाइन डिलीवरी भी होती है। अमेरिका के जिन राज्यों ने गर्भपात पर रोक लगाई है, अब वहां इन गोलियों की डिलीवरी रोकने के उपायों पर विचार चल रहा है। मिफेप्रिस्टोन को सन् 2000 में एफडीए रेगुलेटरी ने अनुमति दी थी। इस दवा का 60 फीसदी से अधिक गर्भपात के मामलों में इस्तेमाल होता है।

गर्भपात को ठहराया गया था वैध

गौरतलब है कि अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात को वैध ठहराने का फैसला पलट देने के बाद कई राज्यों में ‘गर्भपात की गोलियों’ (एबॉर्शन पिल्स) की उपलब्धता सीमित करने कोशिशों पर ध्यान केंद्रित हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में 1973 के रो एंड वेड नामक फैसले को पलट दिया था। 49 साल पहले उस फैसले में कोर्ट ने गर्भपात कराने को महिलाओं का वैध अधिकार घोषित किया गया था।