मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर शहरी इलाके के ड्रग इंस्पेक्टर विकास शिरोमणि को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उन पर पटना में जुलाई 2008 से 2011 तक रहने के दौरान आवश्यकता से ज्यादा व एमआरपी से अधिक मूल्य पर दवा खरीदने का आरोप है। उनकी बर्खास्तगी का विभागीय आदेश मिलने पर सिविल सर्जन डाॅ. एसके चौधरी ने सहायक औषधि नियंत्रक को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा है। विकास शिरोमणि 4 जुलाई 2016 से मुजफ्फरपुर में ही कार्यरत रहे। सिविल सर्जन -डाॅ. एसके चौधरी ने बताया कि विभाग की ओर से ड्रग इंस्पेक्टर विकास शिरोमणि की बर्खास्तगी का पत्र आया है। उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जा रही है।

इनके खिलाफ 2013 से जांच चल रही थी। इन पर आरोप है कि सरकार के 12 करोड़ 63 लाख 52 हजार 970 रुपए बेवजह खर्च किए। पटना में पदस्थापित रहने के दौरान पीएमसीएच में कार्यालय अधीक्षक, लेखापाल, संबंधित क्रय लिपिक के मेल से एमआरपी से अधिक मूल्य पर दवा व मशीन-उपकरण निर्माता कंपनी की दर से काफी अधिक दर पर खरीद की। साथ ही बिना आकलन किए जानबूझ कर खपत से कई गुना अधिक मात्रा में दवाएं खरीदी गईं। जांच में इनकी मिलीभगत के स्पष्ट साक्ष्य मिले। इसे लेकर विभागीय कार्यवाही संचालित की गई। गठित आरोप जांच में प्रमाणित पाया गया। 26 मार्च 2021 को बर्खास्तगी का आदेश आया।

सरकार को हुई राशि की हानि से संबंधित साक्ष्य नहीं रहने के कारण कितनी राशि की हानि हुई यह स्थापित नहीं किया जा सका। लेकिन, जांच प्रतिवेदन में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर अनुशासनिक प्राधिकार ने बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियमावली के तहत विकास शिरोमणि को सेवा से बर्खास्त किया है। इस निर्णय पर बिहार लोक सेवा आयोग की सहमति व मुख्यमंत्री का भी आदेश प्राप्त है। उधर, विकास शिरोमणि ने कहा कि वे सरकार के इस फैसले काे काेर्ट में चुनाैती देंगे।