लखनऊ : यूपी में आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है। जिन कंपनियों के सैंपल मानकों पर खरे नहीं पाए गए थे, उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

नोटिस जारी होने के बाद अब कंपनियों के लाइसेंस लेने के मानक और प्रक्रिया को भी बदला गया है। अब कंपनियों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट की तैनाती के साथ ही आधारभूत सुविधाओं को भी बढ़ाना होगा।

आयुर्वेदिक दवा निर्माण के लिए बनाए गए नए नियम के तहत अब सभी कंपनियों को रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करने होगा। यह प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू हो गई है।

आयुर्वेद दवा निर्माण इकाई में एक बीएएसएस डॉक्टर और तीन टेक्निकल स्टॉफ रखना अनिवार्य होगा। अब तक एक डॉक्टर और एक अन्य स्टॉफ से काम चल जाता था

बता दें कि मीडिया रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि, ज्यादातर आयुर्वेदिक दवा कंपनियों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। कोई एक कमरे में कई प्रोडक्ट बना रहा है तो कोई एक प्रोडक्ट का लाइसेंस लेकर मनमाने तरीके से कई दवाएं बना रहा है।

जिसका नतीजा था लैब में हुई जांच में 72 फीसदी आयुर्वेदिक दवाएं अधोमानक पाई गई हैं। उन कंपनियों को संबंधित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को भी पत्र भेजा गया है। साथ ही कंपनी को चेतावनी भी दी गई है।