लखनऊ : उत्तर प्रदेश के लिए हाल ही में किए गए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे-4 (जीवाईटीएस) में पाया गया है कि जब बच्चे सिगरेट पीना शुरू करते हैं, तो उनकी औसतन उम्र महज साढ़े नौ साल होती है।
उससे भी छोटे बच्चे – लगभग सात साल की लड़कियां और आठ साल के लड़के – बीड़ी पीने से शुरुआत करते हैं। सर्वे के अनुसार, 13 और 15 वर्ष की आयु के 10 बच्चों में से दो लड़के और एक लड़की वर्तमान में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, जो चिंताजनक है।
स्टडी में पाया गया कि छह साल और आठ महीने की उम्र शहरी क्षेत्रों के बच्चों के लिए बीड़ी पीने की औसत आयु है। लड़कियों की उम्र सात साल से कम होती है, जब वह धुंआ रहित तंबाकू के सेवन की शुरुआत करती हैं।
सर्वे में 37 निजी और सरकारी स्कूलों के कुल 3,501 छात्रों ने भाग लिया। इनमें से 13 से 15 वर्ष की आयु के 2,855 छात्रों को स्टडी के परिणाम के लिए फिट माना गया था।
ग्लोबल टोबैको सर्विलांस सिस्टम का एक घटक जीवाईटीएस, युवाओं के बीच तंबाकू के उपयोग (धूम्रपान और धुआं रहित) की व्यवस्थित निगरानी और प्रमुख तंबाकू नियंत्रण संकेतकों पर नजर रखने के लिए एक मानक है। छोटे बच्चों में कैंसर से पहले के घाव होने और तंबाकू के उपयोग के कारण अपने जबड़े को पूरी तरह से खोलने में समस्या होने के मामले सामने आए हैं।
जीवाईटीएस-4 के अनुसार, 23 फीसदी छात्रों (22 फीसदी लड़के और 24 फीसदी लड़कियों) ने तंबाकू उत्पाद (गुटखा या पान-मसाला) का इस्तेमाल किया है। इसके अतिरिक्त, पाया गया कि 21 प्रतिशत छात्रों ने तंबाकू (धूम्रपान) का सेवन किया है। राज्य में 13 प्रतिशत से अधिक बच्चे स्कूल में धूम्रपान करते हैं जबकि 38 प्रतिशत घर में धूम्रपान करते हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब 20 फीसदी बच्चे अपने दोस्त के घर धूम्रपान करते हैं।