नई दिल्ली। भारतीय दवा कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। अब जेनरिक दवाएं चीन में भी बिकेंगी। ये दवाएं चीन में अभी तक प्रतिबंधित थी और इन्हें फेक मेडिसिन की कैटेगरी में रखा गया था। मगर अब चीन ने भारतीय जेनरिक दवाओं को फेक लिस्ट की कैटेगरी से हटा दिया है। चीन के नए संशोधित दवा प्रशासन कानून से यह संभव हुआ है। अब तक चीन में सभी विदेशी जेनेरिक दवाओं पर प्रतिबंध था और इन्हें नकली दवाओं की श्रेणी में डाला गया था और ये सभी यहां उपयोग करने के लिए अवैध थी।
एक दिसंबर से इन दवाओं का उपयोग चीनी रोगियों द्वारा किया जा सकेगा। यदि थोड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है तो उन्हें ऐसा करने के लिए दंडित भी नहीं किया जाएगा। बता दें कि संशोधन से पहले इसके लिए दंड का प्रावधान था। चीन के इस कानून में बदलाव से उन चीनी रोगियों को लाभ होगा जो कैंसर जैसी बीमारी से पीडि़त हैं। वे अब विशेष रूप से कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भारत से प्रभावी और सस्ती जेनेरिक दवाओं का उपयोग कर सकेंगे। हालांकि, आधिकारिक घोषणा में यह नहीं कहा गया है कि मरीज कैसे दवा खरीद सकते हैं क्योंकि फार्मेसियों में यह दवा उपलब्ध नहीं है। इस कानून में संशोधन का मतलब है कि अन्य देशों में जेनरिक दवाएं लीगल हैं, मगर चीन में अब भी इस पर हरी झंडी मिलना बाकी है, क्योंकि चीन ने सिर्फ इन्हें फेक मेडिसिन की कैटेगरी से हटा दिया है। नए संशोधित ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कानून के अनुच्छेद 124 में कहा गया है कि कम संख्या में ऐसी दवाओं के आयात को कानूनी तौर पर (चीन में) बिना मंजूरी के इस्तेमाल को माइनर केसों में सजा से अलग रखा जाएगा।
हालांकि, कानून में संशोधन का मतलब यह नहीं है कि चीन आयातित जेनेरिक दवा पर प्रबंधन को आराम देने के लिए तैयार है। जो लोग लाभ के लिए जेनेरिक दवाओं का आयात करना चाहते हैं, उन्हें अभी भी पंजीकृत करने के लिए चीनी कानूनों का पालन करना होगा और अग्रिम में एक अप्रूवल प्राप्त करना होगा।